नई दिल्ली: साहित्योत्सव 2020 का शुभांरभ अकादमी की वर्ष 2019 की गतिविधियों की प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुआ. प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी ने किया. अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने उनका स्वागत पारंपरिक गमछा और पुस्तकें भेंट करके किया. स्वागत भाषण में अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने वर्ष 2019  में अकादमी द्वारा आयोजित प्रमुख गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि अकादेमी ने पिछले वर्ष 715 कार्यक्रम आयोजित किए. इस दौरान 484 किताबें प्रकाशित की, जिनमें 239 नए प्रकाशन और 245 पुनःमुर्दित पुस्तकें थीं. उन्होंने विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक विनिमय की जानकारी भी दी. मन्नू भंडारी ने खराब स्वास्थ्य के कारण कोई वक्तव्य नहीं दिया, लेकिन सबके बीच अपनी उपस्थिति पर खुशी प्रकट की. प्रदर्शनी उद्घाटन के बाद पारंपरिक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्रों के स्वरों के बीच दीप प्रज्जवलन हुआ. मन्नू भंडारी के साथ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार, उपाध्यक्ष माधव कौशिक, सचिव के. श्रीनिवासराव एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं के संयोजक भी उपस्थित थे.

 

अपराह्न में तीन दिवसीय अखिल भारतीय आदिवासी सम्मिलन का शुभारंभ हुआ. जिसका उद्घाटन वक्तव्य प्रतिष्ठित भाषाविज्ञानी एवं विदुषी अन्विता अब्बी ने दिया. स्वागत वक्तव्य में अकादमी सचिव के श्रीनिवासराव ने भाषा को मस्तिष्क का दर्पण मानते हुए कहा कि आदिवासी भाषाओं में लोकज्ञान की अमूल्य थाती है, जिसमें हमारा अतीत छुपा हुआ है. आदिवासी साहित्य में पारंपरिक ज्ञान के खजाने भरे हैं. हमें उनके इस ज्ञान को संरक्षित करना है और उसे लंबे समय तक जिंदा रखना है. उद्घाटन वक्तव्य में अन्विता अब्बी ने कहा कि आदिवासी वाचिक साहित्य, लोक साहित्य की परंपरा की ही कड़ी है, जिसमें हमारा दैनिक जनजीवन नदी की धारा की भांति प्रवाहित होता है. हमें सामाजिकता एवं समावेशिता को साथ-साथ लेकर चलना चाहिए. वाचिक साहित्य को कभी मरने नहीं देना चाहिए. इसे स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए. अगला सत्र कविता-पाठ से संबंधित था, जिसमें प्रख्यात कवि चंद्रकांत मुरासिंह की अध्यक्षता में च. सोते आईमोल (आईमोल), मुक्तेश्वर केंपराई (दिमासा), मिर्थनार्क के. मरक (गारो), रूप लाल लिंबू (लिंबू) एवं न्गुरांग रीना (ञिशी) ने सर्वप्रथम अपनी मूल आदिवासी भाषा में कविता फिर हिंदी या अंग्रेज़ी अनुवाद में अन्य कविताएं पढ़ीं. सांस्कृतिक कार्यक्रम के आज सायं 6.00 बजे पारंपरिक लोकसांगीतिक नाटक श्रीकृष्ण पारिजात, दुर्गव्वा मुधोळ एवं साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया.