पुणेः साहित्य किस तरह काग़ज़ से उतरकर 'ऐक्टिविज़्म' के स्तर पर समाज-निर्माण में सहायक हो सकता है, यह सीखना हो तो हमें पुणे की प्रतिष्ठित मराठी साहित्यिक-सामाजिक संस्था काव्यमित्र से सीखना चाहिए.  इस संस्था और पुणे के मराठी साहित्यिक समाज ने डॉ अनुज कुमार,  रश्मिकुमार अब्रोल, राजेन्द्र विमलाई श्रीमंत सगर, ईशान संगमनेरकर, हारीनाथ कांबले, सायली दिवाकर, अर्जुनराव बोबडे को सम्मानित किया. पुणे में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट हुआ कि देश के कोने-कोने से लोग साहित्य के प्रति कितने समर्पण भाव के साथ कार्य कर रहे हैं.
यह कार्यक्रम साहित्य के नाम पर अपनी-अपनी रचनाओं का फ़ेसबुक पर प्रचार करने से अलग था. मराठी के साहित्यकारों को बहुत जानते हों या नहीं, वे लोग पूरे देश की साहित्यिक गतिविधियों पर अपनी नज़र बनाए रखते हैं. पुणे का साहित्यिक समाज हिंदी समाज के लेखकों को बहुत अच्छे से पहचानता है. इस कार्यक्रम में सम्मानित किए गए डॉ अनुज कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में पुणे बुलाकर सम्मानित करने के लिए काव्य-मित्र संस्था के सभी सम्मानित सदस्यों और साहित्यिक-सामाजिक समाज का आभार प्रकट किया.