नई दिल्लीः युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के तत्वावधान में स्थानीय रेलवे अधिकारी क्लब में ‘साहित्यकार से मिलिए’ एवं ‘काव्य-रसधारा’ कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात कवि डा.ब्रजपाल सिंह संत ने की. मुख्य अतिथि ट्रू मीडिया के संपादक ओमप्रकाश प्रजापति और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार त्रिभुवन कौल एवं देवी प्रसाद मिश्र ने शिरकत की. मंच के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने वरिष्ठ साहित्यकार डा.लक्ष्मी शंकर बाजपेयी से साक्षात्कार कर ‘साहित्यकार से मिलिए’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया. डा. बाजपेयी ने साहित्य, साहित्यकार और वर्तमान परिदृश्य तक सभी विषयों पर बेबाकी से विचार रखते हुए बताया कि कविता का संबंध मानवीय संवेदना है, न कि किसी शैक्षणिक योग्यता से. कविता भावुकता से आती है. ग़ज़ल लिख रही नई पीढ़ी को उन्होंने सुझाव दिया कि वे ग़ज़ल के मानकों का पालन करें, उसकी बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखें.
उनके मुताबिक हिंदी ग़ज़ल लेखक अक्सर ये गलतियां करते हैं. युवा पीढ़ी को किसी व्यक्ति विशेष के विषय में लिखने से पूर्व उसके विषय में अध्ययन करना चाहिए. अज्ञानता में लिखने से साहित्य और साहित्यकार दोनों का ही भला नहीं होता. उन्होंने कहा कि साहित्यकार का धर्म होता है कि वह जन-जन की पीड़ा अभिव्यक्त करे.वह सत्ता का स्थाई विरोधी होता है. स्वयं उनके कविता लेखन का आरंभ ही आपातकाल के विरोध से हुआ. वर्तमान के साहित्यिक परिदृश्य पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज कवि कविता बाज़ार में बेच रहा है. मंचीय और मुख्यधारा की कविता के विषय में उन्होंने कहा कि आज कवि और कविता मंचीय कविता से गायब हो रहे हैं. नकली किस्म के लोग आज छाये हुए हैं. उन्होंने अपनी उस ग़ज़ल को भी सुनाया जिस पर ओशो रजनीश ने पूरा एक प्रवचन किया था.
उनकी इस ग़ज़ल के चन्द अशआर
अपने ही हाथों में पतवार संभाली जाये
तब तो मुमकिन है कि नाव बचा ली जाये
*
पूरे गुलशन का चलन चाहे बदल जाये मगर
बदचलन होने से खुशबू तो बचा ली जाये
इस कार्यक्रम में युवा और प्रौढ़ रचनाकारों ने बड़े उत्साह से भाग लिया. श्वेताभ पाठक ने पद सृजन के विषय में बताया कि पद का सृजन कैसे किया जाय और मंजू वशिष्ठ ,रजनी रामदेव,शारदा मदरा, पुष्प लता ,मिलन सिंह विवेक शर्मा ,लता यादव,डा.दमयंती शर्मा ,वीना तंवर और ओमप्रकाश शुक्ल ने बहुत ही सुंदर कृष्णभक्ति पर पद सुनाकर भाव विभोर कर दिया. इनके अतिरिक्त त्रिभवण कौल,वंदना मोदी ,डा.अर्चना गुप्ता,मनीषा यादव,रविन्द्र जुगरान ,मुकेश निरुला,ब्रह्मदेव शर्मा,विजय प्रशांत एवं सूक्ष्मलता महाजन ,ए.एस.अली खान, कृष्णानद तिवारी,त्रिलोक कौशिक,रामकिशोर उपाध्याय, सुरेशपाल वर्मा जसाला, डा.बृजपाल सिंह संत सहित तीस कवियों ने मनोहारी काव्य पाठ किया. काव्यरस धारा कार्यक्रम का संचालन कवि श्वेताभ पाठक ने किया.