नागौरः साहित्य संगम व साहित्य विहार संस्था ने स्थानीय पुराना पारीकों के मोहल्ले में साहित्यकार शंकरलाल पारीक की सातवीं पुण्य स्मृति के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. साहित्यकार रामकुमार तिवाड़ी की अध्यक्षता में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में स्थानीय कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं. गोष्ठी में साहित्य विहार के व्यवस्थापक सुधीरबंधु पारीक ने कहा कि साहित्यकार को पुरातन साहित्य के साथ अपने देश-प्रदेश की संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के प्रति भी सजग रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि साहित्यकार का दायित्व है कि वह सोते हुए समाज को अपने काव्य-सृजन की माध्यम से जागृत करे. उन्होंने साहित्य विहार के संस्थापक स्व. शंकरलाल पारीक की रचना द्वारा लाडनूं के गढ़ की दुर्दशा पर व्यंग्य कसते हुए गढ़ के इतिहास व प्राचीन रौनक को उजागर किया. कालीप्रसाद शर्मा ने अपनी रचनाओं से राजस्थान में व्याप्त अनुचित परंपराओं पर जमकर कटाक्ष किया और रचना के माध्यम से कहा, 'मां बूढ़ी घर में बैठी, खाय चूरमा बामणी, जिण की आख्या में आंसू आयग्या आ किसी सुवामणी…' यह उनकी राजस्थानी रचना थी. सुरेश नरुका ने वर्तमान समाज में व्यक्ति के बुढ़ापे में हो रही स्थिति पर प्रहार किया और अपनी कविता में कहा, 'हंसा थारे जीवन में घणां खाये धमेड़ा, थारे जायां पछै गुड़कावे लाडू रसगुल्ला और पेड़ा' सुनाकर मृत्युभोज की परंपरा पर आघात किया.
इस काव्य-गोष्ठी में निशा आर्य ईनाणियां ने बेटियों पर केंद्रित कविताएं सुनाईं. उनकी कविता 'नन्हें-नन्हें पैरों से जब घर के आंगन को सजाती है, बेटी ही वो खुशबू है जो घर भर को महकाती है…' तथा 'दे सको फूल ना तुम तो शूल का ताज दे देना, भले ही कल ना दे पाओ तो बस आज ही दे देना..' को काफी सराहना मिली. पर्यावरणविद बजरंगलाल जेठू ने राजस्थानी गीतों की पर्यावरण सुधार संबंही पैराडी प्रस्तुत की. कवयित्री सोनम पाटनी ने 'तुम्हारे देश के लिए तुम्हारा इंतजार है, उठो चलो बहादुरों भविष्य की यह ही पुकार है' सुनाकर लोगों को देशभक्ति की भावना से भर दिया. परवीना भाटी ने 'ऐ शराफत तुझको किसने नजर लगाई' कविता प्रस्तुत की. यासीन खां अख्तर ने अपनी गजल 'अहले जहां का चाल-चलन हमसे पूछिए, मतलब में करते हैं ये मिलन हमसे पूछिये' सुनाया. प्रकाश जांगिड़ ने गजल सुनाई. वरिष्ठ साहित्यकार रामकुमार तिवाड़ी ने हास्य कविता 'नगर परिवहन की बस में अधेड़ पति थे सवार, एक सहयात्री से हो गई पत्नी की आंखें चार, पत्नी मन ही मन मुस्कराई और अपने सौंदर्य पर इतराई, बात पति को सुनाई' से श्रोताओं को गुदगदाया. जीतमल टाक ने राजस्थानी गीत 'घूंघट री ओट में चांदनी रात में खड्यो खड्यो छात पर देखरयो चांद ने' पेश किया. कार्यक्रम में रामबाबू शर्मा, रामसिंह रेगर, शिवशंकर बोहरा और लक्ष्मीपत ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी. खासतौर से हीरालाल ओझा, सुशील जांगिड़, राज पाटनी, गिरधारी इनाणियां, मनोज पारीक, डालमचंद पारीक, तेजकरण भोजक, अरविन्द पंवार, सुरेश पारीक, प्रदीप अग्रवाल, पुखराज, अरविन्द भवानी पारीक, प्रेमाराम जाट आदि उपस्थित थे. संचालन साहित्य संगम के अध्यक्ष जगदीश यायावर ने किया.