नई दिल्ली: हिंदी के ख्यात कहानीकार और आलोचक रमेश उपाध्याय का शनिवार सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। पिछले कई दिनों से वो कोरोना संक्रमित थे और उनका इलाज चल रहा था। लेकिन नियति के क्रूर हाथों ने उनको हमसे छीन लिया।
रमेश उपाध्याय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में करीब तीन दशक तक अध्यापन किया। एक मार्च उन्नीस बयालीस को रमेश उपाध्याय का जन्म हुआ था। उनकी पहली कहानी उन्नीस सौ बासठ में प्रकाशित हुई थी, उसके बाद कई पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियां प्रकाशित हुईं। उनका पहला कहानी संकलन ‘जमी हुई झील’ उन्नीस सौ उनहत्तर में प्रकाशित हुआ। उनके अबतक पंद्रह कहानी संग्रह, पांच उपन्यास और कई नाटक भी प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने लंबे समय तक साहित्यिक पत्रिका ‘कथन’ का संपादन भी किया। इसका संपादन अब उनकी बेटी संज्ञा करती हैं।
उनको गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और दिल्ली की हिंदी अकादमी के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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