बेंगलुरुः प्रख्यात कन्नड़ साहित्यकार डॉ चेन्नवीरा कनावी नहीं रहे. वे 94 वर्ष के थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित साहित्यकार जगत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. कर्नाटक सरकार ने इस वरिष्ठ साहित्यकार का अंतिम संस्कार पुलिस सम्मान के साथ किए जाने का आदेश दिया तो प्रधानमंत्री ने चेन्नवीरा कनावी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, जिसमें लिखा- “श्री चेन्नवीरा कनावी की उत्कृष्ट कविताओं और लेखन ने दशकों से कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया है. उनके निधन से दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.” कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कनावी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा, “कणवी कन्नड़ साहित्य जगत की सबसे रचनात्मक लेखकों में से एक थे. वह और उनका परिवार पिछले चार दशकों से मेरे बहुत करीब थे. वह नम्रता के प्रतीक हैं जो अपने मृदु भाषी और सौम्य स्वभाव से दिल जीत लेते थे,” बोम्मई ने याद किया.
साहित्यकार कनावी को अपनी पुस्तक 'जीवनध्वनि' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार, पम्पा पुरस्कार, नादोजा उपाधि, नृपथुंगा पुरस्कार, साहित्य बांगरा पुरस्कार और कई अन्य सम्मान मिले थे. कनावी को नदोजा पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे जाने का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि साहित्यकार ने पुरस्कारों का कद ऊंचा किया. “कन्नड़ साहित्य जगत को उनके निधन से बहुत बड़ी क्षति हुई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम चंपा, सिद्धलिंगैया और अब कनावी जैसे कई साहित्यकारों को खो रहे हैं. नए लेखकों को इन महान साहित्यकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए और शीर्ष गौरव हासिल करने के लिए उठना चाहिए.” 29 जून, 1928 को गडग जिले के होम्बल गांव में एक स्कूल शिक्षक सक्करप्पा और एक गृहिणी पर्वतव्वा के यहां जन्मे कनावी की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गांव में हुई थी. फिर उन्होंने धारवाड़ में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की. कनावी ने 15 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें कविता-संकलन, निबंध-संग्रह और विभिन्न पुस्तकें शामिल हैं.कर्नाटक के मंत्री एसटी सोमशेखर, सीसी पाटिल, वी सोमन्ना, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, बीएस येदियुरप्पा, एचडी कुमारस्वामी और कई जनप्रतिनिधियों ने भी कनावी के निधन पर शोक व्यक्त किया था.