नई दिल्लीः सर्च इंजन गूगल भी अब साहित्यकारों को तबीयत से तरजीह देने लगा है. उमर खय्याम की 971वीं जयंती पर उसने अपने होम पेज पर एक रचनात्मक और विशेष डूडल समर्पित किया. उमर खय्याम एक बेहद लोकप्रिय साहित्यकार, गणितज्ञ एवं ज्योतिर्विद थे. फारसी के इस लेखक ने समूची दुनिया को अपने लेखनी से प्रभावित किया, जिसमें हिंदी भी शामिल है. उनका जन्म उत्तर-पूर्वी फ़ारस के निशाबुर में ग्यारहवीं सदी में एक ख़ेमा बनाने वाले परिवार में हुआ था. इन्होंने इस्लामी ज्योतिष को एक नई पहचान दी और इन्हीं के सुधारों के कारण सुल्तान मलिकशाह का पत्रा, जलाली संवत या सेल्जुक संवत का आरंभ हुआ. खय्याम ने अपना अधिकांश जीवन काराखानिद और सेल्जुक शासकों के दरबार में बिताया.
क्यूबिक इक्वेशन्स के वर्गीकरण और इन्हें हल करने पर आधारित उनका काम उस दौर की अभूतपूर्व खोज थी. खय्याम क्यूबिक इक्वेशन्स का आसान हल निकालने वाले पहले व्यक्ति थे. उमर खय्याम का अंतरिक्ष और ज्योतिष से खास जुड़ाव था और इसी के चलते उन्होंने इन क्षेत्रों में भी काफी काम किया. उन्होंने इसी दिशा में काम करते हुए एक सौर वर्ष की दूरी दशमलव के छह बिन्दुओं तक पता लगाई. खय्याम अपनी कविताओं और छंद के लिए भी मशहूर थे. उन्होंने एक हजार से ज्यादा रुबाइयां और छंद लिखे हैं. एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने उनके काम का रुबाइयत ऑफ उमर खय्याम नाम से अनुवाद किया है. साल 2012 में भी गूगल सर्च इंजन ने खय्याम का 964वां जन्मदिन विशेष डूडल समर्पित कर मनाया. भारत के अलावा यह डूडल रूस, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीकी देशों, अमेरिका और चिली में गूगल के यूजर्स को नजर आएगा.