कुल्लूः सरदार वल्लभभाई पटेल की 143 वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक दिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम किया. दो सत्रों में विभाजित कार्यक्रम के पहले चरण में 'वर्तमान दौर में सरदार पटेल की प्रासंगिकता' विषय पर संगोष्ठी हुई, जिसमें प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह विषय इसलिए उपयोगी कि आज की पीढ़ी को सरदार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, कुछ को सोशल मीडिया से जानकारी मिली. आज जरूरत है ऐसे साहित्य की जिससे समाज की आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में पता चले. उनकी शिक्षा हमारे लिए प्रेरणास्रोत है, उन्होंने कभी हार नहीं मानीं. धर्म, दर्शन, संस्कृति के भी ज्ञाता रहे, अपने जीवन में कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा. राष्ट्र के निर्माण में बहुत से बहुत लोगों ने अपना सहयोग दिया है. उनसे प्रेरित हुआ जा सकता है. उन्होंने देश को जोड़ने का कार्य किया. किसानों के लिए बड़ी मजबूती से आंदोलन किए. बारदोली का किस्सा आज भी अनुकरणीय है.

वरिष्ठ लेखक डॉ सूरत ठाकुर ने कहा कि आज सरदार पटेल के पदचिन्हों पर चलने की आवश्यकता है, तभी हम अपने देश को आगे ले जा सकते हैं. कथाकार डॉ गंगाराम राजी ने कहा, सरदार पटेल ने जो किया है वह अद्धभुत है. उन्होंने एक पीढ़ी को प्रेरित किया. उनका काम बोलता है. वे किसान के आंदोलन से सरदार बने. महात्मा गांधी भी वहीं से आते हैं. किसान शुरू से ही पिसता रहा है, चाहे वह जमाना रहा हो या अब के हालात. पटेल ने सबको पिरो कर रखा. इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद डॉ निरंजन देव शर्मा ने कहा, सरदार पटेल पर एक फ़िल्म बनाई केतन मेहता ने जिसमें परेश रावल का बेजोड़ अभिनय है. सबको वह फ़िल्म आज अवश्य देखनी चाहिए. सरदार पटेल ने विभाजन के समय भी अपनी बेहतरीन भूमिका अदा की. सरदार पटेल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.इस तरह के आयोजन समय समय पर होते रहना चाहिए ताकि हमारे विद्यार्थियों को उस समय की चेतना से अवगत कराया जाता रहे.

इस सत्र के बाद 'सृजन के गलियारे' से कार्यक्रम में स्थानीय दस रचनाकारों ने कविताओं के माध्यम से सरदार पटेल को श्रद्धासुमन अर्पित किया.इन रचनाकारों में सत्यपाल भटनागर, जयदेव विद्रोही, रूपेश्वरी शर्मा, गणेश गनी, सरला चंब्याल, हीरालाल ठाकुर व विद्या सागर शर्मा शामिल थे. इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर वरयाम सिंह ने की. उन्होंने कहा कि आज की कविताओं में देश के प्रति प्रेम और समपर्ण भाव की केंद्रित कविताओं को कवियों ने बड़े मनोयोग से सुनाया. न्यास को इस आयोजन के लिए बधाई. इस सत्र का संचालन कवि महेश शर्मा ने किया.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत की तरफ से न्यास के हिंदी संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने कार्यक्रम के आरम्भ में न्यास की ओर से पुस्तक संस्कृति का स्वागत करते हुए अपने अतिथियों को न्यास की पुस्तकें भेंट कीं. उन्होंने न्यास की गतिविधियों का परिचय देते हुए नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के बारे में भी बताया.