नई दिल्ली: स्थानीय इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लेखिका अनन्या मुख़र्जी की बहुचर्चित किताब 'ठहरती साँसों के सिरहाने से: जब ज़िन्दगी मौज ले रही थी (कैंसर डायरी)' हिंदी एवं अंग्रेजी में 'टेल्स फ्रॉम द टेल एंड : माय कैंसर डायरी" का लोकार्पण हुआ. हिंदी में यह किताब राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित की है, जबकि अंग्रेजी में यह किताब स्पिकिंग टाइगर द्वारा प्रकाशित की गयी है. पुस्तक लोकार्पण के बाद परिचर्चा में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने वाली कैनसपोर्ट संस्था की अध्यक्ष हरमाला गुप्ता एवं लेखिका और स्तंभकार सादिया देहलवी ने अपने विचार साझा किये. कार्यक्रम का संचालन स्वतंन्त्र पत्रकार प्रज्ञा तिवारी ने किया. सभी वक्ताओं ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कैंसर से जुडी कई धारणाओं पर विस्तार से बातचीत की तथा किताब के कई पहलुओं को उजागर किया. कैनसपोर्ट की संस्थापक-अध्यक्ष हरमाला गुप्ता ने कहा, 'अनन्या मुखर्जी के जीवंत लेखन में मानवीय जज़्बे और मौत के सामने जिन्दगी के मायने खोजने की अद्भुत क्षमता है.'
इस अवसर पर सादिया दहलवी ने कैंसर की बीमारी के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि आज भी हमारा समाज कैंसर मरीज़ों के प्रति दोयम दर्ज़े का व्यवहार करता है. उन्होंने बताया, 'एक बार जब मैंने अपनी बिना बालों की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी, तो मेरी मां ने तुरंत मुझे उसे हटाने को कहा. माँ ने कहा कि हमें दुनिया के सामने इसका ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए." लोकार्पण में किताब के अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही संस्करण से कई किस्सों का पाठ किया गया, जिन्हें सुन जहाँ श्रोताओं की आँखें नम थीं, तो वहीं वो खिलखिलाकर हंस भी रहे थे. बिलुकल इस किताब और इसकी लेखिका के मिजाज की तरह ही. कार्यक्रम के अंत में दास्तानगो हिमांशु बाजपाई ने किताब पर दास्तानगोई प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध किया. स्पीकिंग टाइगर से अंग्रेजी में आई किताब 'टेल्स फ्रॉम द टेल एंड : माय कैंसर डायरी" का हिंदी अनुवाद है, जिसका अनुवाद उर्मिला गुप्ता और डॉ. मृदुला भसीन ने और संपादन प्रभात रंजन ने किया है.