लखनऊः  गोमती नगर के वन अवध सेंटर मॉल में लोकोदय साहित्यिक संस्था व प्रकाशन ने परिचर्चा, पुस्तक लोकार्पण और काव्यपाठ का एक दिवसीय आयोजन किया. परिचर्चा का विषय थासमकालीन साहित्य और आज के सवाल.समारोह के पहले सत्र में वरिष्ठ नवगीतकार मधुकर अष्ठाना को प्रथम स्व. जगदीश गौतम स्मृति सम्मान, युवा नवगीतकार सज्जन धर्मेन्द्र को लोकोदय नवलेखन सम्मान व प्रदीप कुशवाह को लोकोदय सम्मान से सम्मानित किया गया. यह सम्मान वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, नाटककार राजेश कुमार, प्रदीप घोष, नीरज सिंह द्वारा प्रदान किए गए. इस कार्यक्रम में मधुकर अष्ठाना द्वारा संपादित पुस्तक नवगीत के विविध आयाम’, सज्जन धर्मेन्द्र के नवगीत संग्रह नीम तले’, प्रदीप कुशवाह की नाट्य पुस्तिका सुखियातथा वरिष्ठ पत्रकार राजीव मित्तल व अनुपम वर्मा की पुस्तक हमनवाके दूसरे संस्करण का विमोचन भी किया गया. जिन पर पत्रकार, संपादक अरुण सिंह, डा. रामबहादुर मिश्र, रवीन्द्र प्रभात, संध्या सिंह, अन्नपूर्णा वाजपेयी, दिनेश प्रियमन, गोपाल गोयल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए.
 
द्वितीय सत्र में समकालीन साहित्य और आज के सवालविषय पर बोलते हुए आलोचक उमाशंकर परमार ने कहा कि समकालीनता समयबद्ध अवधारणा नहीं है. धीरे-धीरे होने वाला साहित्य का विकास ही समकालीनता है. वरिष्ठ कवि डा. चन्द्रेश्वर का मत था कि लेखन के सरोकार को छोड़कर जब हम दूसरे काम से प्रभावित होते हैं तो संकट खड़ा होता है. सिद्धार्थ वल्लभ का कहना था कि प्रगतिशील होना वामपंथी होना नहीं है. साहित्य में पाठकों का संकट भी नहीं है. अरुण कुमार ने कहा कि प्रकाशकों ने हिंदी साहित्य को अपने शिकंजे में जकड़ लिया है जो अब घातक हो गया है. युवा साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने कहा कि समकालीन साहित्य में समकालीनता कितनी है और साहित्य कितना है इस पर विचार किये बिना कोई बात आगे नहीं बढ़ सकती. पाठक, बाजार और विचारधारा आज के साहित्य को प्रभावित कर रही है. परिचर्चा में डा. अनिल मिश्र, महेन्द्र भीष्म, अजीत प्रियदर्शी, श्याम श्रीवास्तव मधुकर अष्ठाना, गोपाल गोयल, राजीव मित्तल, किरण सिंह, अरुण सिंह, सज्जन धर्मेन्द्र, दिव्या शुक्ला, अनुपम वर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का संचालन बृजेश नीरज ने किया. कार्यक्रम के तीसरे सत्र में मधुकर अष्ठाना, श्याम श्रीवास्तव, रामबहादुर मिसिर, राजेन्द्र शुक्ल राज, डॉ. अनिल मिश्र, अविनीश त्रिपाठी, संध्या सिंह, रामशंकर वर्मा, धीरज मिश्र, कृष्ण नन्दन मौर्य, रविशंकर मिश्र, अन्नपूर्णा बाजपेयी, आभा खरे, निशा सिंह आदि ने काव्य पाठ किया. इस सत्र का संचालन मनोज शुक्ल मनुज ने किया. आगंतुकों का स्वागत सुरुचि सिंह ने तथा आभार ज्ञापन निदेशक नीरज सिंह ने किया.