वाराणसीः प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर शुकदेव सिंह की 86वीं जयंती पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में एक संगोष्ठी आयोजित की गई. इस संगोष्ठी में हिंदी विभाग के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर सदानंद शाही को सम्मानित किया गया तथा एक विचार गोष्ठी रखी गई जिसका विषय था, 'गोरखबानी का संदर्भ और संत काव्य'. इस अवसर पर डॉ संगीता पंडित की टीम ने कुलगीत और कबीर गायन प्रस्तुत किया. विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की सक्रिय उपस्थिति से यह कार्यक्रम गुलजार रहा. इस गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग के प्रसिद्ध आचार्य प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि गोरखनाथ अपने समय के बहुत ही प्रभावी और शक्तिशाली व्यक्ति थे. उन्होंने समाज, साहित्य व अध्यात्म को जोड़ा. उन्होंने प्रोफेसर सुखदेव के व्यक्तित्व के उदात्त तत्वों पर भी प्रमुखता से विचार किया.
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी ने गोरख वाणी में अभिव्यक्त विचारों को वर्तमान संदर्भों के साथ जोड़ा और उसके महत्व को प्रतिपादित किया. बतौर विशिष्ट वक्ता हिंदुस्तानी अकादमी के अध्यक्ष प्रो. उदय प्रताप सिंह ने संत काव्य के महत्त्व पर प्रकाश प्रकाश डालते हुए गोरखनाथ की प्रसंगिकता पर विचार किया. प्रो. जितेंद्र नाथ मिश्र ने सुखदेव सिंह के व्यक्तिगत आयामों पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर जोर दिया कि समग्र संत साहित्य भगवत गीता के साथ जुड़ा हुआ है. इस अवसर पर प्रोफेसर सुमन जैन, डॉक्टर प्रभाकर सिंह ने भी अपना वक्तव्य दिया और संत साहित्य के ऐतिहासिक महत्त्व को गोरखनाथ से जोड़ते हुए उसके महत्त्व को प्रतिपादित किया. अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन प्रो. मनोज सिंह ने किया तथा संचालन डॉक्टर वंशीधर उपाध्याय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रज्ञा पारमिता ने किया.