नई दिल्लीः आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में संस्कृति मंत्रालय और वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित हो रहे 'झरोखा – भारतीय हस्तशिल्प /  हथकरघा, कला और संस्कृति का संग्रह' के दौरान संस्कृति और साहित्य के लिए भी एक कोना स्थापित होगा. दोनों मंत्रालयों ने इस आशय की घोषणा का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की. यह एक अखिल भारतीय उत्सव होगा, जो 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 16 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा. झरोखा पारंपरिक भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा और कला एवं संस्कृति का उत्सव है. इस उत्सव के तहत पहला कार्यक्रम मध्य प्रदेश के भोपाल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर किया गया. इस स्टेशन का नाम मध्य प्रदेश के गोंड राजघराने की बहादुर और निडर रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है. यह पहला कार्यक्रम नारीत्व और कला, शिल्प एवं संस्कृति के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान के उत्सव को समर्पित रहा. कार्यक्रम के सभी स्टाल महिला कारीगरों द्वारा स्थापित किए गए.
कार्यक्रम का उद्घाटन समाज में प्रेरणास्रोत रही महिलाओं द्वारा किया गया, जिसमें कलाकार दुर्गा बाई व्याम, संस्कृति मंत्रालय की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी प्रियंका चंद्रा, भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी अनुभा श्रीवास्तव, आईपीएस अधिकारी किरणलता केरकेट्टा और प्रोफेसर जया फूकन शामिल रहीं. झरोखा में होने वाले सभी समारोहों में देश भर के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही भारतीय हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने में अपना योगदान देने वाली महिला कारीगरों, बुनकरों और कलाकारों को भी सम्मानित किया जाएगा. प्रत्येक स्थान पर स्थानीय कला, संस्कृति और त्योहारों पर केंद्रित एक साहित्यिक कोना स्थापित किया जाएगा, साथ ही स्थानीय भारतीय व्यंजनों का उत्सव मनाने वाले फूड स्टॉल भी लगाए जाएंगे. झरोखा का एक और आकर्षण सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. यह आयोजन 8 दिनों तक चलेगा और इसमें स्थानीय टीमों और कलाकारों द्वारा लोक नृत्य और गायन प्रदर्शन शामिल होंगे. मणिपुर और नागालैंड की संस्कृति तथा कला को शामिल करते हुए कार्यक्रम स्थल पर एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए एक समर्पित कोना भी स्थापित किया जाएगा. आजादी का अमृत महोत्सव भारत सरकार की एक पहल है.