नैनीतालः हलकी ठंड, गुनगुनी धूप और साहित्य. कुमायूं साहित्य महोत्सव पिछले दिनों नैनीताल के एबोट्सफोर्ड में 'हिमालयन एकोज़ – कुमाऊं फेस्टिवल ऑफ़ लिटरेचर एंड आर्ट्स' के नाम से संपन्न हुआ. पहले दिन साहित्य समारोह की शुरुआत निदेशक जाह्नवी प्रसाद के वक्तव्य से हुई. उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति और साहित्य को लोगों तक पहुंचाने के साथ ही युवाओं को साहित्य जगत से परिचित कराना भी रहा है. यहां आकर वे विश्व के जाने-माने लेखकों से रूबरू हो सकते हैं, उनसे लिखने की प्रेरणा ले सकते हैं. तीन साल पहले यह फेस्टिवल सात लेखकों से शुरू हुआ था और इस साल यह 23 वक्ताओं तक पहुंच चुका है. दो दिन के इस महोत्सव में 'इन द जंगल ऑफ़ द नाईट: अ नॉवल ऑन जिम कॉर्बेट' पर स्टीफ़न ऑल्टर के साथ रूडी सिंह ने चर्चा की, तो ‘नो फ़िल्टर थीम’ के तहत जाह्नवी प्रसाद जानी-मानी लेखक शोभा डे के साथ बातचीत की. इस दौरान शोभा डे ने कहा कि डर कर बैठ जाना कोई समाधान नहीं है. आपको मुड़कर जवाब ज़रूर देना चाहिए. मैं कभी भी डर कर चुप नहीं बैठ जाती. लड़कियों को मज़बूत बनना चाहिए. 'यंगहसबैंड: द लास्ट ग्रेट इम्पीरिअल एड्वेंचरर' के लेखक पैट्रिक फ्रेंच के साथ अनिश दयाल ने चर्चा की. पैट्रिक का कहना था कि उन्हें यंगहसबैंड पर लिखने की प्रेरणा तिब्बत से ही मिली. पैट्रिक ने अपनी किताब से कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए. टिम सबेस्टियन ने 'प्योर अर्थ' की कविता खोसा और 'पिओली' की वासंथी वेलूरी के साथ चर्चा की. 'द बिलव्ड दिल्ली – अ मुग़ल सिटी एंड इट्स ग्रेटेस्ट पोएट्स' के लेखक सैफ महमूद से पुष्पेश पंत ने चर्चा की. सैफ ने बताया कि ये किताब दिल्ली के 8 शायरों के ऊपर है, जिसकी प्रस्तावना “उर्दू है इसका नाम” से सुहेल हाश्मी ने लिखी है. महोत्सव के दूसरे दिन, ऑल सेंट्स कॉलेज की प्रधानाचार्या किरन जरमाया ने लेखिका अनुराधा रॉय से उनकी किताब 'ऑल लाइव्स वी नेवर लीव्ड' पर विस्तार से चर्चा की. इसके बाद पवन कुमार वर्मा की किताब 'आदि शंकराचार्य' पर पुष्पेश पंत ने संवाद किया. दीपा अग्रवाल ने नीता गुप्ता से 'कुमाऊं की लोक कथाओं' पर बात की, तो हरीश कपाड़िया ने स्टीफन ऑल्टर से 'हिमालय के मानचित्रों' को लेकर संवाद किया. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, जाह्ववी प्रसाद, नेहा प्रसाद, अरुण साह, मधु विग, बीके विग, भुवन चंद्र त्रिपाठी आदि उपस्थित थे. महोत्सव के दौरान उपस्थित साहित्यप्रेमियों का कहना था कि पुरोधाओं के बीच संवाद से साहित्य में और ज्यादा निखार आता है. ऐसे संवाद समय-समय पर होते रहने चाहिए ताकि साहित्य में निखार आने का सिलसिला जारी रहे.
इस साल कुमाऊं साहित्य महोत्सव की खास बात यह रही कि हिमालयन इकोज ने औपचारिक शुरुआत से पहले भी भारत में तिब्बती शरणार्थियों के प्रेसीडेंट डॉ. लोबसंग सांगये व ब्रिटिश लेखक पेट्रिक फ्रेंच के मध्य भारत तिब्बत संबंध पर परिचर्चा कराई थी, जिसमें डॉ सांगये ने कहा कि इस वर्ष तिब्बती शरणार्थी भारत के प्रति धन्यवाद वर्ष के रूप में मना रहे हैं. भारत ने तिब्बतियों को अपने पांवों पर खड़ा होने का अवसर दिया. इसी उद्देश्य से वे भी उत्तराखंड आये हैं. डॉ सांगये ने ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय को हो रहे नुकसान पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि तिब्बत को अब तक थर्ड पोल ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता रहा है जहां से एशिया की प्रमुख नदियां निकलती हैं और जिन पर 1.4 बिलियन लोग आश्रित हैं. किंतु नासा ने अपनी एक रिपोर्ट में सन् 2100 तक तिब्बत के 70 फीसदी ग्लेशियर पिघलने का दावा किया है, जिससे पूरी दुनिया के लिए खतरा है. डॉ. सांगये ने कहा कि तिब्बत को आजादी भले नहीं मिल सकी है लेकिन तिब्बत स्वतंत्रता आंदोलन की वजह से हमने अपनी संस्कृति, साहित्य, भाषा, बौद्ध धर्म अपनी पहचान, गरिमा को संरक्षित रखा है. बुद्धिज्म आज दुनिया पर में फैला है. चीन में भी इसका प्रसार हुआ है, जो तिब्बतियों की जीत है. इस अवसर पर ब्रिटिश लेखक डा. पैट्रिक फ्रेंच ने कहा कि उन्हें पहाड़ी राज्य में पुनः आने पर खुशी हो रही है. उन्होंने 1986 में तिब्बत का दौरा किया था ओर पुनः तिब्बतियों से मिलने का अवसर मिला है. परिचर्चा का संचालन हिमालयन इकोज की निदेशक व लेखिका जान्हवी प्रसाद ने किया. इस अवसर पर कुमाऊं विश्व विद्यालय के प्रो. अजय रावत, एटीआई के निदेशक एएस नयाल, पूर्व मंत्री जतिन प्रसाद, प्रसिद्ध फोटोग्राफर अनूप साह, लेखिका अनुराधा रॉय, शोभा डे, नमिता गोखले, नीता गुप्ता, नेहा प्रसाद, अनीश दयाल, हरीश कपाड़िया, पवन कुमार वर्मा, रूड़ी सिंह, सादिया देहलवी, अंकिता सिंघल, दीपशिखा सिंह देव, अमिताभ बघेल, निखिल सिंह, मनीष पुष्काले, वासंती वेलूरी, स्टीफन आल्टर, सैफ महमुद, अरमान अली देहलवी, विक्की आर्य, ईता मल्होत्रा, आल संट की प्रधानाचार्य किरन जरमाया, पीटर एमुन्येअल, भुवन त्रिपाठी, गीतांजलि आनंद, सैय्यद शेरवानी, अभिताभ सिंह, सुखमय मजूमदार, बीके विग, आलोक साह आदि मौजूद थे.