नई दिल्लीः हिंदी भाषा आज के दौर में मीडिया के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होकर भी प्रशिक्षण के स्तर पर वह मान नहीं पा रही है, जो उसे मिलना चाहिए, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी हो. भाषा की सूचिता पर ऐसे सवालों पर बारबार बात होनी चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन महाविद्यालय ने संभवतः इसी लिए 'हिंदी साहित्य और मीडिया: शिक्षण पद्धति और सम्भावनाएं' कार्यक्रम कराया और व्याख्यान देने के लिए हिंदी के चर्चित लेखक ज्योतिष जोशी को भी बुलाया. जोशी ने महाविद्यालय के साप्ताहिक संकाय संवर्धन कार्यक्रम के तहत 'संस्कृति का संरक्षण और मीडिया की भूमिका' विषय पर अपनी बात रखी. ज्योतिष जोशी ने साहित्य, कला, संस्कृति के सर्वमान्य आलोचक के रूप में आलोचना को कई स्तरों पर समृद्ध किया है और साहित्य इनकी आलोचना का केन्द्रीय क्षेत्र है. वह कला तथा नाटक-रंगमंच सहित संस्कृति के दूसरे अनिवार्य अनुशासनों पर भी मनोयोग से काम करते रहे हैं.
ज्योतिष जोशी ने अपने उद्बोधन में संस्कृति में व्यवहार, विचार, भाव और भाषा के साथ लोक संस्कृति के पक्षों की चर्चा की और उनकी विलुप्ति पर अपनी चिंताएं जाहिर की. उनका कहना था कि हमें मिलकर इसकी संरक्षा और संवर्धन की दिशा में काम करना होगा. कार्यक्रम की खास बात यह थी कि उसमें प्रतिभागी अध्यापकों ने भी अपनी भाषा और संस्कृति के क्षरण पर क्षोभ व्यक्त किया और मीडिया की नकारात्मक भूमिका पर ज्योतिष जोशी की चिंताओं से सहमति व्यक्त की. सबका मानना था कि भाषा और संस्कृति के साथ ही लोकजीवन की संरक्षा में मीडिया की अहम भूमिका है और उसे अपने इस दायित्व का निर्वाह करना ही होगा. इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ -साथ दूसरे संस्थानों से आये हए अध्यापक और छात्र भी शामिल हुए, और कुछ ने अपनी बातें व सवाल भी रखे. रामानुजन महाविद्यालय के हिंदी अध्यापक और कार्यक्रम के संयोजक आलोक पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया.