भोपालः भारत भवन में संस्कृति और प्रकृति महोत्सव के अंतर्गत बुंदेली, बघेली ऋतु गीतों की प्रस्तुति दी गई. जिसमें उर्मिला पांडे और साथी कलाकारों द्वारा बुंदेली ऋतु गायन किया गया वहीं अर्चना पांडे और साथी कलाकारों ने बघेली ऋतु गायन करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसी के साथ ज्योति हेगड़े का रूद्र वीणा वादन भी कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति रही. कार्यक्रम में अर्चना पांडे ने ऋतु गीतों की एक के बाद एक मनभावन प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी. उन्होंने 7 गीतों से प्रत्येक ऋतु का आगाज किया. अर्चना की पहली प्रस्तुति चैती गीत की रही जिसके बोल थे 'चैत मास में चुनरिया ना आए….' इसके बाद वर्षा ऋतु के लिए उन्होंने कजरी गीत गाया जिसके बोल थे, 'हे रामा सावन बीता जाए श्याम नहीं आए…' सावन की बेला में श्याम के इंतजार को गायिका ने मनमोहक अंदाज में अपनी गायिकी में पिरोया. इसकी अगली कड़ी में 'लगते सावन कुहु की बोले…' की प्रस्तुति खास रही.
बघेली भाषा से सजे इन ऋतु गीतों का श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया. वहीं बघेली गीतों की इस संध्या में अगली गीत प्रस्तुति झूला गीत की रही, जिसमें 'सजनी सुहागन मास सुहावन.'.और वसंत ऋतु के लिए 'आई रे आई बसंत कुहूके बोले कोयलिया..'. की प्रस्तुति दी. अंतिम 2 प्रस्तुतियां अर्चना ने होली गीतों की दी, जिसमें 'सैंया के गीत रे गोरी…' और 'अंगना मोरे बलम होरी खेरी….' के बोलों ने गीतों से भरी महफिल में चार चांद लगा दिए. अर्चना के साथ सहायक गायिका के रूप में रागिनी द्विवेदी और खुशी थे, वही ढोलक पर अमित कुमार और तबले पर आशीष भट्ट ने संगत की. याद रहे कि भारत भवन में साप्ताहिक संस्कृति और प्रकृति महोत्सव के तहत सांस्कृतिक प्रस्तुति की एक लंबी परंपरा है.