नई दिल्लीः संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कला, संस्कृति और साहित्य को बहुत प्रमुखता से याद किया. आजादी के 75 वर्षों में देश की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए संसद के बजट-सत्र के संयुक्त अधिवेशन में कला, शिक्षा की कई हस्तियों का उल्लेख यह बताता है कि अभी भी हम राष्ट्र सेवा के इन सांस्कृतिक, धार्मिक और साहित्यिक हस्तियों को भूले नहीं है. राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में जिन महानुभावों का स्मरण किया और वर्तमान से उनका नाता जोड़ा, उनमें गुरु तेगबहादुर सिंह, जिनका यह 400वां प्रकाश पर्व है; श्री अरबिन्दो जिनकी 150वीं जन्म-जयंती वर्ष है; वीओ चिदम्बरम पिल्लई की 150वीं जन्म-जयंती वर्ष और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म-जयंती वर्ष शामिल है. उन्होंने इस साल 'वीर बाल दिवस', 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' और 'जनजातीय गौरव दिवस' का उल्लेख किया करते हुए महान संत थिरूवल्लुवर की ये पंक्तियां पढ़ीं- 'कर्क्क कसड्डर कर्पवइ कट्रपिन्, निर्क्क अदर्क्क तग.' अर्थात- एक व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है, वह उसके आचरण में दिखाई देता है.
आत्मनिर्भर भारत के संकल्प व सामर्थ्य का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इसे आकार देने के लिए मेरी सरकार, देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. स्नातक पाठ्यक्रमों की महत्त्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में भी संचालित करने पर जोर दिया जा रहा है. इस वर्ष 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू हो रही है. स्किल इंडिया मिशन के तहत, आईटीआई, जन शिक्षण संस्थान और प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के जरिए पूरे देश में सवा दो करोड़ से अधिक युवाओं का कौशल विकास हुआ है. स्किल को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए यूजीसी के नियमों में कई बदलाव भी किए गये हैं. कोरोना से लड़ाई के लिए स्किल इंडिया मिशन के तहत हेल्थ केयर से जुड़े 6 विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. इनसे हेल्थ केयर सेक्टर को मदद मिल रही है. सरकार द्वारा जनजातीय युवाओं की शिक्षा के लिए हर आदिवासी बहुल ब्लॉक तक एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल के विस्तार का काम किया जा रहा है. ये स्कूल लगभग साढ़े तीन लाख जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाएंगे.