भरतपुर: आर्थिक संकट से जूझ रही श्री हिन्दी साहित्य समिति को बचाने के लिए राजस्थान की साहित्य प्रेमी जनता ने कमर कस ली है, पर इसका समाधान तभी निकलेगा, जब सरकार कोई पहल करेगी. श्री हिन्दी साहित्य समिति बचाओ मंच ने इसी को लेकर भरतपुर नगर निगम के महापौर अभिजीत कुमार को ज्ञापन सौंपा और श्री हिन्दी साहित्य समिति को बचाने के लिए 50 लाख रुपए अनुदान स्वीकृत करने की मांग की. ज्ञापन में समिति द्वारा 2 कर्मचारियों के बकाया वेतन भुगतान के कारण नीलामी प्रक्रिया का हवाला देते हुए श्री हिन्दी साहित्य समिति के साथ 35 हजार दुर्लभ ग्रंथों के संरक्षण की गुहार लगाई है. याद रहे कि श्री हिंदी साहित्य समिति, भरतपुर की स्थापना हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि के उन्नयन, हिंदी साहित्य एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं विकास तथा हिंदी के प्राचीन ग्रंथो की खोजकर उन्हें संग्रहित करने तथा उन्हें सुरक्षित रखने के प्रमुख उद्देश्य से की गई थी. श्री हिंदी साहित्य समिति भरतपुर की स्थापना 13 अगस्त 1912 को हुई थी. इसके प्रथम अध्यक्ष ओंकार सिंह परमार तथा प्रथम मंत्री अधिकारी जगन्नाथ दास विद्यारत्न थे.

समिति के अब तक हुए आयोजनों में शिरकत करने के लिए देश की अनेक विभूतियां यहां आ चुकी हैं, जिनमें सरोजिनी नायडू, गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर, पंडित मदन मोहन मालवीय, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, हरिभाऊ उपाध्याय, जैनेंद्र कुमार, मुराई नोविस्ता जापान, अली अहमद नाटककार पाकिस्तान, सेठ गोविंददास, सत्य भक्त, कमला रत्नम, वियोगी हरि, काका कालेलकर, रूस के हिंदी विद्वान डॉ वारान्निकोव, डॉ सम्पूर्णानंद, मोहनलाल सुखाडिय़ा, हरिवंशराय बच्चन, डॉ राममनोहर लोहिया जैसे दिग्गज साहित्यसेवी, राजनेता शामिल हैं. इसके अलावा समिति को सुविख्यात दार्शनिक डॉ रामानंद तिवारी, डॉ गुरुदत्त सोलंकी और डॉ रामगोपाल शर्मा आदि का सानिध्य प्राप्त रहा है. श्री हिंदी साहित्य समिति अपने प्रारंभ से ही एक पुस्तकालय तथा एक वाचनालय का नियमित संचालन भी कर रही है. ज्ञापन में कहा गया है कि नगर निगम भरतपुर 50 लाख रुपए अनुदान के रूप में स्वीकृत कर समिति को नीलामी से बचा सकता है. ज्ञापन सौंपने वालों में हिंदी साहित्य समिति बचाओ मंच के अध्यक्ष गंगाराम पाराशर, अशोक धाकरे, श्याम सिंह जघीना, इन्द्रजीत भारद्वाज, दयाचन्द पचौरी, इंदुशेखर शर्मा, कमल कांत त्यागी आदि शामिल थे.