नई दिल्लीः राजधानी स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय के हिंदी विभाग ने अपने हीरक जयंती के उपलक्ष्य में 'वैश्विक हिंदी: स्थिति व संभावनाएं' विषय पर विश्व के नामचीन विद्वानों का एक व्याख्यान आयोजित किया, जिसमें सोफिया युनिवर्सिटी बुल्गारिया की प्रो मिलेना ब्रातोइवा, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी अमेरिका की प्रो ग्रेबिएला निकेलिएवा और भव्या सिंह, यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख स्विट्जरलैंड की डॉ माइरेला ग्राफे, टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज जापान की साकुरा इशिकावा ने अपने विचार व्यक्त किए. वेबिनार का उद्देश्य हिंदी भाषी समाज व हिंदी भाषी विद्यार्थियों को वैश्विक हिंदी की वास्तविक स्थिति और संभावनाओं से अवगत कराना था. प्रो मिलेना ब्रातोइवा ने बताया कि हमारे देश में हम हिंदी को सिर्फ एक भाषा के रूप में नहीं बल्कि साहित्यिक स्तर छात्रों को तैयार करते हैं. जिसका उदाहरण है कि विद्यार्थी हिंदी को बिना अंग्रेजी का मदद लिए सीधे बुल्गारियन में अनुवाद करते हैं.
प्रो ग्रेबिएला ने कहा कि हम वास्तविक हिंदी पर विशेष जोर देते हैं ताकि हमारे विद्यार्थी हिंदी में पकड़ बना सके. उन्होंने बताया कि व्यापार व अस्पतालों में हिंदी का अधिक प्रयोग होता है. हम मुख्य रूप से हिंदी की साक्षरता को ध्यान में रखते हैं. भव्या सिंह ने कहा कि हम विभिन्न तरीकों से हिंदी को सीख सकते हैं. डॉ माइरेला ग्राफे ने बताया कि हमारे यहां हिंदी का अध्ययन भारतीय संस्कृति और समाज के स्तर पर होता है. इशिकावा ने भी हिंदी सीखने के उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि फिल्मों के माध्यम से हम हिंदी को सहज रूप में सीखते हैं. कार्यक्रम का संचालन, अतिथि परिचय और धन्यवाद विभाग प्रभारी डॉ ऋचा मिश्र ने किया. महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सी शीला रेड्डी ने स्वागत वक्तव्य दिया. इस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में विश्व भर के कई शोधार्थी जुड़े हुए थे. डॉ अर्चना ने तकनीकी संचालन किया.