पटना: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा संस्कृति से संवाद की दसवीं श्रृंखला तारामंडल में आयोजित की गई। इस मौके पर पाली, संस्कृत और हिंदी के विद्वान श्रीरंजन सूरिदेव का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। 93 वर्षीय श्रीरंजन सूरिदेव का सम्मान अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया।लालजी टंडन ने अपने संबोधन में कहा ” भारत की संस्कृति, साहित्य और भाषा के विकास में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत के शिक्षित समाज, लोकतांत्रिक व्यवस्था और समतामूलक सोच विकसित करने में बिहार ने प्रमुख भूमिका निभाई है। ज्ञान, कर्म और नीति की सुदीर्घ परंपरा बिहार में रही है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने श्रीरंजन सूरिदेव के सम्बंध में अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा ” आचार्य रंजन सूरिदेव भारतीय ज्ञान परंपरा के सुदृढ स्तम्भ हैं।” इस सम्मान समारोह को माखनलाल पत्रकारिता विश्विद्यालय के पूर्वकुलपति अच्युतानंद मिश्र, इंदिरागांधी कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी, प्रो अरुण कुमार भगत ने भी संबोधित किया। ‘नई धारा ‘ पत्रिका के संपादक डॉ शिवनारायण ने श्री रंजन सूरिदेव द्वारा भेजे संदेश को पढ़कर सुनाया जिसमें उन्होंने कहा ” शब्द और संस्कृति की साधना में आगे भी कगे रहेंगे।“
इस विशेष अवसर पर श्री रंजन सूरिदेव पर केंद्रित और अरुण कुमार भगत द्वारा संपादित ” साहित्य और साहित्यकार सर्जक श्री रंजन सूरिदेव ” का भी लोकार्पण किया गया। इस ख़यास मौक पर खासी संख्या में श्रीरंजन सूरिदेव के शुभचिंतक, साहित्यकार आदि इकट्ठा थे। कार्यक्रम का संचालन कृष्णकांत ओझा जबकि धन्यवाद ज्ञापन अभिजीत कश्यप ने किया।