कासरगोडः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि श्री नारायण गुरु ने हमें याद दिलाया है कि शिक्षा छात्र के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करती है और इस प्रकार वह समाज का भी उत्थान कर सकती है. कासरगोड में केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह महान संत एवं समाज सुधारक 'विद्याकोंडु प्रबुद्धा रवुका' जैसी अपनी उक्तियों से लोगों को प्रेरित करते थे, जिसका अर्थ है 'शिक्षा के माध्यम से प्रबुद्ध हो जाओ'. उन्होंने कहा कि महान पुरुषों एवं महिलाओं, विशेषकर हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं का जीवन काफी सरलता से इस सत्य को उजागर करता है कि स्कूल एवं कॉलेज व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल हैं. ये वे कार्यशालाएं हैं जहां देश के भाग्य को आकार दिया जाता है. राष्ट्रपति ने कहा कि केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के खूबसूरत परिसर जैसे शैक्षिक स्थानों में उन्हें जो जीवंतता और ऊर्जा का अनुभव होता है वह सामाजिक सशक्तिकरण की संभावनाओं से आती है. यह एक ऐसा स्थान है जहां विचारों को पोषित, पढ़ाया और सिखाया जाता है. इस प्रक्रिया में वातावरण विचारों की जीवनी शक्ति सक्रिय हो जाती हैं, जिससे नए विचार सृजित होते हैं. उन्होंने कहा कि ज्ञान का यह अखंड चक्र समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक है.
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार का काम उपयुक्त माहौल तैयार करने में मदद करना है, जहां युवा दिमाग रचनात्मकता से भर जाए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक ऐसा परिवेश विकसित करने के लिए एक सुनियोजित रूपरेखा है, जो हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिभा को पोषित करेगी. इसका उद्देश्य उन्हें उन्हें अपनी सर्वश्रेष्ठ परंपराओं से लैस करते हुए कल की दुनिया के लिए तैयार करना है. राष्ट्रपति ने कहा कि उनके विचार में एनईपी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका उद्देश्य समावेश और उत्कृष्टता दोनों को बढ़ावा देना है. अपने विविध पाठ्यक्रम के जरिये एनईपी उदार के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा को भी बढ़ावा देती है क्योंकि समाज एवं राष्ट्र निर्माण में ज्ञान की प्रत्येक धारा की भूमिका होती है. इस प्रकार एनईपी भारत के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने और लाभ उठाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने कहा कि हमारे देश की बढ़ती आबादी के लिए यह जरूरी है कि हम अगली पीढ़ी की प्रतिभा को निखारें. उन्होंने कहा कि जब युवा पीढ़ी को इक्कीसवीं सदी की दुनिया में सफलता के लिए आवश्यक कौशल एवं ज्ञान प्रदान किया जाए तो वे चमत्कार कर सकते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी को ज्ञान की सदी के रूप में वर्णित किया गया है. ज्ञान शक्ति ही वैश्विक समुदाय में किसी राष्ट्र का स्थान निर्धारित करेगी. भारत में केरल ने साक्षरता एवं शिक्षा के महत्त्वपूर्ण मानकों पर अन्य राज्यों का नेतृत्व किया है. इसने केरल को उत्कृष्टता के कई अन्य मानकों पर भी अग्रणी राज्य बनने में समर्थ किया है.