भोपालः अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने प्रख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी की याद में दो दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम 'शरद प्रसंग' नाम से आयोजित किया, जिसमें रचनाकारों ने शरद जोशी के व्यंग्य पढ़े. इस आयोजन में शरद जोशी की जो रचनाएं पढ़ी गयीं उनमें 'नेतृत्व की ताकत' डॉ साधना बलवटे ने, 'चोर चोर लेखक' सुनीता यादव ने और 'जिसके हम मामा हैं' शीला मिश्रा ने पढ़ीं. सुनीता शर्मा ने 'चौथा बंदर' लघु व्यंग्य कथा पढ़ी. अशोक व्यास ने 'सितार सुनने की पोशाक' और नीता सक्सेना सक्सेना ने 'कला और प्रतिबद्धता', अर्चना मुखर्जी ने 'शेर की गुफा में न्याय' नामक व्यंग्य रचना पढ़ी. इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में विजय जोशी उपस्थित थे. याद रहे कि शहर में इससे पहले भी जब शरद जोशी को याद किया गया था, तब भी व्यंग्यकारों ने उनकी रचनाओं का पाठ कर ही उन्हें स्मरण किया था. तब शांतिलाल जैन ने 'लोकतंत्र में अध्यक्ष बाप', विजी श्रीवास्तव ने 'आजादी के फटुल्ले', मलय जैन ने 'आपके चरण कहां है श्रीमान' नामक रचना का पाठ किया था. अशोक व्यास ने 'हां मैं सुरक्षित हूं' रचना में कोरोना समय की मानसिक स्थितियों का वर्णन किया था, तो सुदर्शन सोनी ने विविध समस्याओं से परेशान लोगों द्वारा आत्महत्या की जाने पर 'आत्महत्या का बलिदान' रचना का पाठ किया. डॉ साधना बलवटे ने 'फिर मुस्कुरायेगा इंडिया, पीयेगा इंडिया तो जियेगा इंडिया' व्यंग्य रचना पढ़ी थी.
इस दौरान शरद जोशी के लेखन कर्म को याद करते हुए वक्ताओं ने छोटे परदे के साथ ही फिल्म जगत के लिए किए गए उनके लेखन को याद किया. जोशी ने टेलीविजन के लिए 'ये जो है जिंदगी', 'विक्रम बेताल', 'सिंहासन बत्तीसी', 'वाह जनाब', 'देवी जी', 'प्याले में तूफान', 'दाने अनार के' और 'ये दुनिया गजब की' धारावाहिक लिखे. यही नहीं उन्होंने 'क्षितिज', 'गोधूलि', 'उत्सव',  ''उड़ान', 'चोरनी', 'साँच को आँच नहीं' और 'दिल है कि मानता नहीं' जैसी फिल्मों के संवाद भी लिखे. शरद जोशी या उन पर लिखी जिन दर्जनों पुस्तकों का जिक्र हुआ, उनमें 'परिक्रमा', 'किसी बहाने', 'रहा किनारे बैठ', 'दूसरी सतह', 'मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएं', 'यथासम्भव', 'यत्र-तत्र-सर्वत्र', 'यथासमय', 'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे', 'प्रतिदिन 3 भागों में', 'नावक के तीर', 'मुद्रिका रहस्य', 'झरता नीम शाश्वत थीम', 'मैं, मैं और केवल मैं', 'शरद जोशी एक यात्रा', 'और शरद जोशी', 'जादू की सरकार', 'पिछले दिनों', 'दो व्यंग्य नाटक', 'राग भोपाली', 'नदी में खड़ा कवि', 'घाव करे गम्भीर' शामिल है. उनके दो व्यंग्य नाटक 'अंधों का हाथी' और 'एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ' आज तक चर्चित हैं. शीला मिश्रा, सुनीता यादव, डॉ अनिता सिंह चौहान, डॉ अर्चना मुखर्जी, प्रेमचंद गुप्ता, नीता सक्सेना, सुनीता शर्मा आदि श्रोता उपस्थित थे.