अजमेरः 'व्यंग्य यात्रा' गंभीर एवं सार्थक व्यंग्य की दिशा में चर्चित व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय की अगुआई में सक्रिय मिशनरी अभियान का संयुक्त प्रयास है. व्यंग्य को मुख्यधारा के साहित्य में शुमार करवाने की उनकी कोशिशें सराहनीय तो थीं ही, अब उसकी लोकप्रियता में भी उनका बड़ा योगदान है. उनके इस अभियान में अजमेर के डॉक्टर अखिलेश पालरिया निःस्वार्थ जुड़े हैं. 21 अक्टूबर को व्यंग्य केंद्रित कार्यक्रम में मंच पर  माधव नागदा , गिरिजा शरण अग्रवाल , गोविन्द शर्मा, कृष्ण कुमार आशु , अजय अनुरागी आदि के साथ मेरी उपस्थिति भी रही।    

डॉक्टर अखिलेश पालरिया ने अपने आवास के साथ जुड़ी जमीन में नर्सिंग होम न बनाकर साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन के हेतु निःशुल्क स्थान उपलब्ध कराने के लिए खूबसूरत 'कला रत्न भवन' का निर्माण किया है. इस नवनिर्मित 'कला रत्न भवन' का उद्घाटन 'शब्द निष्ठा सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण' के आयोजन द्वारा किया गया. शब्द निष्ठां सम्मान 2018 के लिए  प्रतियोगिता हेतु व्यंग्य रचनाएं निमंत्रित की गयी थीं. इस प्रतियोगिता में 14 राज्यों के 117 प्रतियोगियों ने भाग लिया. हिंदी व्यंग्य को सक्रिय करने और उसके लिए मिशनरी भाव के लिए , उनका आभार मानते हुए 'व्यंग्य यात्रा ' ने उन्हें सम्मानित किया. शब्द निष्ठा 2018 के लिए व्यंग्य केंद्रित रचनाओं की प्रतियोगिता के निर्णायक वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय थे. खास बात यह कि इन व्यंग्य रचनाओं में  रचनाकारों के नाम नहीं थे, तीन निर्णायक थे और किसी को मालूम नहीं कि अन्य दो निर्णायक कौन हैं

निर्णायक के रूप में अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए डॉ जनमेजय का कहना है कि इस प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं के चयन के दौरान मैंने नए रचनाकारों की बेहतरीन और स्थापित रचनाकारों की सामान्य रचनाएं पढ़ीं. इनको पढ़कर लगा कि हिंदी व्यंग्य का भविष्य उज्ज्वल है. इस प्रतियोगिता की पूरी प्रक्रिया, निर्णायकों के मत और कुछ रचनाओं की पुस्तक 'आधुनिक हिंदी साहित्य के चयनित व्यंग्य ' के नाम से प्रकाशित हुई है. कीर्ति शर्मा द्वारा सम्पादित इस पुस्तक का लोकार्पण भी अजमेर के इस कार्यक्रम में हुआ. कीर्ति शर्मा ने अपने सम्पादकीय में न केवल व्यंग्य से जुड़े प्रश्न उठाए हैं अपितु अपने गहरे अध्ययन के आधार पर व्यंग्य के स्वरुप को भी व्याख्यायित किया है. इसी कृति में कृष्ण कुमार आशु की महत्वपूर्ण भूमिका, कठिन डगर है राही चलना संभल-संभल के भी है.