नई दिल्लीः श्री पुरुषोत्‍तम हिंदी भवन न्‍यास समिति की ओर से पं गोपालप्रसाद व्‍यास के जन्‍मदिन पर जाने-माने हास्यकवि और व्‍यंग्‍यकार अशोक चक्रधर को व्‍यंग्‍यश्री सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया. अशोक चक्रधर ने हास्यव्यंग्य के अलावा फिल्‍मकार,अभिनयपटु, वाकपटु, भाषा व इंटरनेटविद, चौं रे चम्‍पू के ख्‍यात स्‍तंभकार तथा विख्‍यात टीवी शो संचालक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है. यह सम्‍मान समारोह राजधानी के दीनदयाल उपाध्‍याय मार्ग स्थित हिंदी भवन में आयोजित एक समारोह में दिया गया. पूर्व राज्यपाल टीएन चतुर्वेदी ने उन्हें यह सम्मान दिया. इस समारोह में डा. ज्ञान चतुर्वेदी, डा. निर्मला जैन, प्रेम जनमेजय, ओम निश्चल, डा. रत्ना कौशिक, हरीशंकर वर्मन व हिंदी भवन न्यास के महामंत्री गोविंद व्यास समेत अनेक साहित्यकार मौजूद थे.

हास्‍य व्‍यंग्‍य विधा के इस श्रेष्‍ठ सम्‍मान से अब तक 22 लेखक व्‍यंग्‍यकार सम्‍मानित किए जा चुके हैं. बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक चक्रधर ने अपना लेखकीय कर्म 1960 में में शुरू किया था. उनकी चर्चित प्रकाशित कृतियों में भोले भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, सो तो है, हँसो और मर जाओ, ए जी सुनिए, इसलिए बौड़म जी इसलिए, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, जाने क्या टपके, देश धन्या पंच कन्या, चुनी चुनाई, सोची समझी शामिल हैं. हाल ही में उनके घर से लाखों की चोरी हुई थी, जिसपर उनकी प्रतिक्रिया थी, 'चोर मेरी हँसी नहीं चुरा सकते. सोशल मीडिया पर अशोक चक्रधर के चाहने वालों ने उन्हें मिले इस सम्‍मान पर खुशी जाहिर की है.