नई दिल्लीः केंद्रीय संस्कृति तथा पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में चित्राचार्य उपेन्द्र महारथी पर 'शाश्वत महारथी: चिरंतन जिज्ञासु' प्रदर्शनी का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया.  महारथी ने कई पुस्तकों की रचना की थी. बांस कला पर लिखी उनकी पुस्तक 'वेणुशिल्प' सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. उनकी रचनाओं में 'वैशाली के लिच्छवी', 'बौद्ध धर्म का अभ्युत्थान', इन्द्रगुप्त आदि शामिल हैं. महारथी का जन्म मई, 1908 में ओडिशा के पुरी जिले के नरेन्द्रपुर गांव में हुआ था. महारथी ने गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कोलकाता से कलाकार-सह-वास्तुविद की शिक्षा प्राप्त की. बाद के वर्षों में वे पटना में रहे. 1933 से 1942 तक महारथी साहित्यिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए प्रयासरत रहे. इस दौरान वे 'पुस्तक भंडार' दरभंगा में कार्यरत थे. 1942 में उन्हें विशेषज्ञ डिजाइनर के रूप में बिहार सरकार के उद्योग विभाग में नियुक्त किया गया. 1954 में वे यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, जापान में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए.
प्रदर्शनी में चित्राचार्य उपेन्द्र महारथी के 1000 से ज्यादा कला, डिजाइन और बुने हुए वस्तुओं को दिखाया गया है. प्रदर्शनी में पेंटिंग, रेखाचित्र, भित्ति-चित्र, शिल्पकला, बुने हुए वस्त्र और कुर्सियां – सभी उनकी रचनात्मकता के उच्च स्तर को दर्शाती हैं. बौद्ध सिद्धांतों का प्रभाव उनके डिजाइनों में दिखाई पड़ता है. वस्तुओं को प्रदर्शित करने का डिजाइन एनजीएमए के डीजी अद्वैत गदानायक ने तैयार किया है. प्रदर्शनी की परिकल्पना और इसका संयोजन गदानायक और उनकी टीम ने किया है. प्राचीन शिल्पकला को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कई प्रसिद्ध भवनों का डिजाइन तैयार किया. इन भवनों में वेणुवन विहारिण, राजगृह, संद्राभ विहार, आनंद स्तूप, वैशाली में प्राकृत और जैन संस्थान, नालंदा में नव नालंदा महाविहार आदि शामिल हैं. नालंदा रेलवे स्टेशन के अग्रभाग को प्रदर्शनी में दिखाया गया है. यह प्रदर्शनी मंगलवार से बृहस्पतिवार आम लोगों के लिए 11 बजे प्रातः से 6 बजे सायं तक खुली रहेगी. सप्ताहांत में लोग 8 बजे रात्रि तक प्रदर्शनी को देख सकते हैं.