नई दिल्लीः राष्ट्रपति राम नाथ कोबिंद ने राजधानी के प्रवासी भारतीय केंद्रके सभागार में किसी कारणवश 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में मॉरीशस न पहुंच पाने वाले छह हिंदी सेवियों को सम्मानित करते हुए मॉरीशस सरकार को सफल आयोजन की बधाई दी. राष्ट्रपति ने कहा कि भाषा की सेवा भी देश की ही सेवा है. और, जब हिंदी की सेवा करने वाले साहित्यकारों, भाषाविदों, शिक्षकों और संस्थाओं को सम्मान दिया जाता है तो वास्तव में यह देश का ही सम्मान होता है. इस अवसर पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संयुक्त  राष्ट्र  संघ में हिंदी में दिए वक्तव्य को याद करते हुए उन्हें एक सच्चा हिंदी सेवी बताया. दुनिया के मानचित्र पर हिंदी की सशक्त उपस्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत से बाहर एक करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं और सभी प्रमुख देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है. इसी का परिणाम है कि 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में 45 देशों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए. देश में भी वर्ष 2011 की भाषायी जनगणना में यह तथ्य सामने आया कि हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या् बढ़कर लगभग 53 करोड़ तक पहुंच गई है. यह अच्छीे बात है.

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भाषा की शक्ति उस भाषा के बोलने वाले लोगों की समृद्धि, सोच और व्यवहार पर निर्भर होती है. समाज ताकतवर होगा तो भाषा भी ताकतवर बनेगी और भाषा सामर्थ्यवान बनेगी तो समाज भी सामाजिक-आर्थिक सामर्थ्य प्राप्त कर सकेगा. प्रवासी भारतीयों, हिंदी फिल्मों, तुलसीदास और भारतीय साहित्य की सबल भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने तकनीक में भी हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया. भारत में सूचना-प्रौद्योगिकी में प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं का भविष्य संवारने की क्षमता है. देशवासियों ने दिखा दिया है कि वे हिंदी सहित भारतीय भाषाओं को कितना पसंद करते हैं. अनुमान है कि इंटरनेट पर हर वर्ष, हिंदी में सामग्री 94 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. यह भी अनुमान है कि कुछ ही वर्षों में इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. यहां तक कि बड़ी कंपनियों ने अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए हिंदी तथा भारतीय भाषाओं को तेजी से अपनाया है. डिजीटल तकनीक में भारतीय भाषाओं की मांग बढ़ने से इसका भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है. विश्व हिंदी सम्मानप्राप्त करने से बचे रह गए जो लोग राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए पावूलूरी शिवराम कृष्णय्या, रमेशचन्द्र शाह, धर्मपाल मैनी, बशीर अहमद मयूख और ब्रज किशोर थे. कथा लेखिका मालती जोशी इस समारोह में भी नहीं आ सकीं. इस समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मंत्री परिषद के अन्य सदस्य जनरल वी के सिंह, एम जे अकबर, किरण रिज़िज़ू, सतपाल जी सहित राज्यपाल  केशरी नाथ त्रिपाठी और राज्यपाल मृदुला सिन्हा व परामर्शदाता मंडल के संयोजक हरीश नवल, सदस्य गिरिश्वर मिश्र, कमल किशोर गोयनका, अशोक चक्रधर, प्रेम जनमेजय और राम मोहन पाठक के साथ भारी संख्या में अधिकारी, विद्वान, साहित्यकार, हिंदी लेखक आदि उपस्थित हुए.