नई दिल्ली: साहित्य अकादमी ने विश्व पुस्तक दिवस पर 'पुस्तकें, जिन्होंने रचा हमारा संसार' विषय पर एक परिसंवाद का आयोजित किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण लोगों ने पुस्तकों के साथ अपने रिश्तों को साझा किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने गमछा और पुस्तकें भेंट कर वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि पुस्तकें केवल ज्ञान नहीं बढ़ाती बल्कि हमें विशेष बनाती है. इस डिजिटल युग में उनका महत्त्व कम नहीं हुआ है. पहले वक्ता के रूप में एडीशनल डिप्टी कंट्रोलर एंड आडिटर जनरल के.के. श्रीवास्तव ने कहा कि वे आधुनिक समाज के लिए दो लेखकों सिग्मंड फ्रायड और वल्दीवो निकोवोव की पुस्तकों को बेहद महत्त्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि इनके जरिये ही समाज में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए बेहतर समझ विकसित हो पाई. प्रख्यात नाट्यकर्मी एम.के रैना ने बताया कि उन्होंने जो पहली पुस्तक पढ़ी वह अब्राहम लिंकन द्वारा लिखी गई थी. दूसरी पुस्तक जिससे वे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए वह गाँधी जी की आत्मकथा थी. उन्होंने कहा कि गाँधी मेरे रॉक स्टार थे और आज भी हैं. उन्होंने प्रेमचंद , ब्रतोल ब्रेख्त तथा धर्मवीर भारती का भी जिक्र किया और कहा कि हम सब को साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए.
संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रणव खुल्लर ने वॉर एंड पीस, महाभारत आदि का जिक्र करते हुए कहा कि वे इन सबके साथ ब्रेख्त से भी प्रभावित हुए हैं. उन्होंने योगानंद की जीवनी पुस्तक का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह पुस्तक आधुनिक संसार और आध्यात्मिक संसार के बीच एक सेतु का कार्य करती है. भारत सरकार में संयुक्त सचिव सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने बचपन में रस्किन बाँड और बाद में बुल्ले शाह के साथ शम्सुर रहमान फारूखी तथा द लिटिल प्रिंस का जिक्र करते हुए कहा कि पुस्तकों से हम प्यार और सादगी से जीना सीख सकते हैं. प्रख्यात ओडिशी, छऊ और मणिपुरी नृत्यांगना सोरेन लोवेन ने कुछ पुस्तकें जिन्होंने उनके जीवन को प्रभावित किया हो पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुस्तकों का संसार इतना विशाल है कि उसकी तुलना आसमान में चमकते सितारों से की जा सकती है. उन्होंने एनी फ्रेंक की डायरी और सिमोन द बोउआर का जिक्र किया. प्रख्यात पत्रकार एस. वेंकटनारायण तथा भारतीय डाक की सेवानिवृत्त महाप्रबंधक सुजाता चौधरी ने भी पुस्तकों से अपने संबंध के बारे में विस्तार से बातचीत की. कार्यक्रम में भारी संख्या में लेखक, बुद्धिजीवी, छात्र एवं मीडियाकर्मी उपस्थित थे.