नई दिल्लीः विश्व पर्यावरण दिवस 2020 के अवसर पर समाज में जैव विविधता के महत्त्व को उजागर करने और पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु अनुगूंज साहित्यिक संस्था ने ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतकार रमेश रमन और संचालन प्रेम सागर 'प्रेम' ने किया. काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ कवि बृजेन्द्र हर्ष, डॉ जय सिंह आर्य, डॉ राम गोपाल भारतीय, विनय विक्रम सिंह, पुष्पलता राठौर, अनिल शर्मा 'अनिल' ने पर्यावरण पर काव्य पाठ किया. संस्था की संस्थापक निवेदिता चक्रवर्ती और आयोजिका सरिता सिंह ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं. रमेश रमन की इन पंक्तियों ने मन मोह लिया, “तू अगर पुरवाई है तो बादलों के साथ आ…प्यास धरती की बुझा ये पेड़ पौधे मत हिला.” बृजेन्द्र हर्ष ने वातावरण में फैले हुए वायु प्रदूषण की ओर इंगित करते हुए पढ़ा, “जब से दूषित हवा हो गई, ज़िन्दगी बेवफा हो गई, दौर जब से विषैला हुआ, मौत तब से दवा हो गई.” डॉ जयसिंह आर्य ने इस दोहे से वृक्ष काटने पर विरोध जताया, “पेड़ काटना पाप है, रखिए इसका ध्यान. पेड़ सभी को दे रहे, जीवन का वरदान.“
डॉ राम गोपाल भारतीय ने खेतों के शहरीकरण इन पंक्तियों से पीड़ा जताई, “फसलें जहां उगा करती थी ऊंचे महल बना डाले, कुएं बाग तालाब कहां अब, सूख गए नदियां नाले.” विनय विक्रम सिंह ने प्रकृति का चित्रण कुछ इस प्रकार किया, “संचरित नव चेतना, नव वधू सा है भुवन. पवन चंचल डोलता, छू रहा है हर सुमन. अधखिली कलिका भ्रमित, सकुच मन मुसकाई है. नयन मलते हैं सुमन, भोर की अंगड़ाई है.” प्रेम सागर 'प्रेम' ने मां गंगा के लिए गाया, “नदी नहीं, मां तुल्य है. हम सबके लिए भागीरथी…सब आइये मिल कर करें, मातेश्वरी की आरती.” पुष्पलता राठौर ने वन्य संरक्षण के लिए सचेत करते हुए पढ़ा,” वन संरक्षण नहीं किया तो जीवन दान नहीं होगा. जल जीवन से रिक्त हुआ तो मानव प्राण नहीं होगा.” डॉ अनिल शर्मा 'अनिल' ने वृक्षारोपण की ओर सचेत कराते हुए पढ़ा, “विषम परिस्थितियों में कीजिए सुधार, करो पौधारोपण और इसका प्रचार.” सरिता सिंह ने पढ़ा, “प्रकृति के नियम तोड़े, वैभव और विलासिता में, चलता रहा मुंह उठाये तू अपने इस दम्भ -रथ पे!” निवेदिता चक्रवर्ती ने दिल्ली के प्रसिद्ध गाज़ीपुर कूड़े के ढेर पर अपनी व्यथा प्रस्तुत की, “मेरे माथे पर लिख दिया है मेरे शहर ने- गाज़ीपुर कूड़े का ढेर!!” काव्य गोष्ठी की रचनाओं को सुन स्पष्ट रूप से पर्यावरण सजगता का उद्देश्य परिपूर्ण हुआ और गोष्ठी सार्थक सफलता के साथ संपन्न हुई.