'हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या' संभवतः कबीर शब्दावली में शामिल एक गजल की शुरुआती की पंक्ति है, पर विमलेश त्रिपाठी ने इसके पहले हिस्से 'हमन है इश्क़ मस्ताना' नाम से एक उपन्यास लिखा, जिसकी खासी चर्चा है. सोशल मीडिया पर तेजी से बनते-बिगड़ते रिश्तों की बुनियाद पर लिखे गए इस उपन्यास पर जनशब्द पटना और हिंदी युग्म दिल्ली ने 4 अगस्त को पटना के फ्रेजर रोड स्थित टेक्नो हेराल्ड में 'हमन है इश्क़ मस्ताना' पर संवाद की एक शाम और कवि गोष्ठी रखी है. हिंदी युग्म युवा लेखकों की ऐसी पुस्तकें प्रकाशित कर लगातार चर्चा में है, जो पाठकों के बीच अलग स्थान बना रही हैं. अभी दैनिक जागरण की हिंदी बेस्टसेलर सूची में भी हिंद युग्म की कई पुस्तकों ने स्थान पाया.
हिंद युग्म के शैलेश भारतवासी का कहना है कि हालांकि ऐसी गोष्ठियों का व्यावसायिक दृष्टि से कोई बड़ा लाभ नहीं होता, क्योंकि गोष्ठी में शामिल होने वाले लोग अमूमन रचनाकार को जानते हैं, पर ऐसी गोष्ठियों के संवाद समूचे साहित्य वर्ग तक पहुंचते हैं. हालांकि इससे पाठक, लेखक और प्रकाशक को कितना लाभ हुआ इसे आंकने का कोई पैमाना नहीं है, फिर भी प्रचार तो होता ही है.
हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित विमलेश त्रिपाठी के 176 पृष्ठों का यह उपन्यास आधुनिकता और पारिवारिक सौन्दर्य के नवीन उपमान गढ़ता है, जिसमें एक पुरुष और कई स्त्रियां, अपनी-अपनी तरह से प्यार और शादी के मायने ढूंढ़ रही होती है. एक तरह से यह उपन्यास सोशल मीडिया के मानव 'मनोविज्ञान' पर असर का उपन्यास है. उपन्यास का पुरुष पात्र अमरेश एक शादीशुदा इंसान है, जिसने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर अनुजा से प्रेम विवाह किया. पर एक अदद बीवी और एक प्यारा बच्चा होने के बावजूद उसका जीवन रिक्त और उदासीन है. वे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से अमरेश के जीवन में रिक्तता आ रही है? और वह भटकता रह रहा है न जाने किस सुख की तलाश में…आखिर प्रेम विवाह से कुछ वर्षों बाद ही प्रेम कपूर के धुएं की तरह क्यों काफूर हो जा रहा है… और फिर अनुजा, कल्पिता, काजू दे, मंजरी, शिवांगी जैसी नायिकाओं के जीवन का फलसफा…. इस उपन्यास के सभी पात्रों को प्यार की तलाश है. हर किरदार अपने-अपने आधे-अधूरे सच को जीता, उलझन भरी जिंदगी के घूंट पीता, चीखता- चिल्लाता, आंसू बहाता, जिंदगी को पाने की जद्दोजहद करता नजर आता है, पर यह एक ऐसी तलाश है जो कभी पूरी नहीं होती. ऐसे ही तमाम मुद्दों को लेकर समेटा गया यह उपन्यास समाज में आ रहे बदलाव को समझने में मददगार साबित हो सकता है. खास बात यह कि सोशल मीडिया पर यह पहले से ही खासी चर्चा हासिल कर चुका है.