नई दिल्ली: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि विनोद कुमार शुक्ल ने हिंदी लेखकों की रॉयल्टी को लेकर अभिनेता-लेखक मानव कौल से कुछ चर्चा की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर घूम रहा है. इस मसले पर अब राजकमल प्रकाशन ने संस्थान के प्रमुख अशोक महेश्वरी की ओर से एक बयान जारी किया है. महेश्वरी का कहना है कि विनोद कुमार शुक्ल राजकमल प्रकाशन के सम्मानित लेखक हैं. उनका विश्वास हमारे प्रति रहा है. हम उनकी हर बात मानते आए हैं. उनके किसी पत्र का जवाब हमारे यहां से न गया हो, या उस सन्दर्भ में उनसे बात न हुई हो, ऐसी कोई मिसाल नहीं. उन्होंने हमें कभी ऐसा कोई पत्र नहीं भेजा, जिसमें अपनी कोई किताब वापस लेने की बात की हो. फोन पर भी कभी ऐसी कोई बात नहीं की. उन्होंने अपने इकलौते कहानी संग्रह 'महाविद्यालय' के प्रकाशन का अनुबंध पिछले साल जून में हमसे किया और उसके जल्द प्रकाशन का आग्रह भी करते रहे. जो पिछले सप्ताह प्रकाशित होकर प्रेस से आया है. 'महाविद्यालय' के छपने से पहले और उसके बाद भी उसके कवर और प्रोडक्शन के बारे में विनोद जी और उनके सुपुत्र शाश्वत गोपाल शुक्ल की सराहना ही मिली है.

अपने प्रकाशन से अन्य चार पुस्तकों 'नौकर की कमीज', 'खिलेगा तो देखेंगे', 'वह आदमी चला गया नया गर्म कोट पहनकर विचार की तरह' और 'आकाश धरती को खटखटाता है' का जिक्र करते हुए महेश्वरी ने विस्तार से उनके संस्करणों की चर्चा की है और कहा है कि इनका ब्योरा नियमित रूप से रॉयल्टी स्टेटमेंट में जाता रहा है. इसका ई-बुक भी राजकमल ने किंडल पर जारी किया हुआ है, जिसकी रॉयल्टी भी उन्हें जाती रही है. इन किताबों के अलावा 'कविता से लम्बी कविता', 'प्रतिनिधि कविताएं', 'सब कुछ होना बचा रहेगा', 'कभी के बाद अभी', 'हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़' का भी लेखाजोखा स्पष्ट है. महेश्वरी का कहना है कि हम हमेशा कहते रहे हैं कि कोई भी लेखक हमारे यहां से प्रकाशित अपनी किताब का स्टॉक कभी भी चेक कर सकता है. जब चाहे, किताब की पूरी बिक्री का लेखाजोखा जाँच सकता है. विनोद जी हमारे लेखक परिवार के बुजुर्ग और प्रतिष्ठित सदस्य हैं. उनकी इच्छा का सम्मान हमारे लिए हमेशा सर्वोपरि है. वे जो चाहते हैं, हम वही करेंगे. हमारी तरफ से वे बंधन और परेशानी जैसी स्थिति एकाएक क्यों महसूस करने लगे, यह जानने के लिए हम उनसे मिलकर बात करेंगे. आगे वे जैसा कहेंगे, वही होगा.