नई दिल्ली: दुनिया के नामीगिरामी विश्वविद्यालयों में शुमार होने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े 'हिंदू कॉलेज' साहित्यकार-लेखक डॉ विजयेन्द्र स्नातक की स्मृति में एक अंतर महाविद्यालय आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें दिल्ली के विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने आशु भाषण के लिए दिए गये विभिन्न विषयों पर ज़बरदस्त प्रस्तुतियां दी. इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि युवा पीढ़ी अब भी अपने आसपास के माहौल के प्रति जागरूक है और उनके अंदर लेखकीय प्रतिभा निहित है. 'गगनांचल' के संपादक डॉ. हरीश नवल के सान्निध्य में संपन्न हुए इस आयोजन में मंच पर डॉ. स्नेहसुधा नवल, डॉ.कृष्ण लाल तथा प्रभात कुमार उपस्थित थे. 'अभिधा' शीर्षक के अंतर्गत हिंदू कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में लेखक-साहित्यकार विवेक गौतम, श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स के हिंदी विभाग के प्रमुख-साहित्यकार डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' तथा कवयित्री कुसुम शर्मा को आमंत्रित किया गया था. छात्रों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
याद रहे कि डॉक्टर विजयेन्द्र स्नातक हिंदी के मूर्द्धन्य विद्वान थे. उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की. उनका प्रसिद्ध ग्रंथ 'राधावल्लभ सम्प्रदाय- सिद्धांत और साहित्य' था. यह उनका शोध प्रबंध था, जिसके लिए कहा काता है कि हिंदी के अन्यतम आलोचक डॉक्टर हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने प्रसाद द्विवेदी तक ने कहा था 'न भूतो न भविष्यति'. उनकी अन्य उल्लेखनीय पुस्तकों में चिंतन के क्षण, विचार के क्षण, विमर्श के क्षण, अनुभूति के क्षण, सूरदास, चैतन्य महाप्रभु, राष्ट्रभाषा हिंदी, स्मृतिशेष, मेरे समकालीन, संस्कृति एवं साहित्य के प्रहरी, द्विवेदीयुगीन हिंदी, नवरत्न साहित्य और जीवन, समीक्षात्मक निबंध चिट्ठी पत्री, कबीर आदि शामिल है. डॉक्टर विजयेंद्र स्नातक को भारतीय मनीषा का प्रतीक पुरुष कहा जाता है. उनकी रचनाएं अनेक शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं.