नई दिल्ली: अपने दौर की सबसे विवादित और बोल्ड लेखिका इस्मत चुग़ताई का जन्मदिन यों तो अगस्त की 15 तारीख को आता है, पर अपने जीवन की तरह ही शायद उनके जन्मदिन को भी लेकर विवाद है. कुछ कहते हैं कि आपा पैदा तो 15 अगस्त, 1915 को ही हुईं थीं, पर 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद जश्ने आजादी के जूनून में लोग उन्हें भुला न दें इसलिए उन्होंने इसे ठीक एक हफ्ते खिसकाकर  21 अगस्त, 1915 करा दिया. अब यह इस्मत आपा ने कराया या उनके चाहने वालों ने बताना मुश्किल है. इस साल सर्च इंजन गूगल ने आज इस विवाद को और भी हवा दे दी. गूगल ने आज इस्मत चुग़ताई का 107वां जन्म दिवस बताकर डूडल बनाया है.   

'इस्मत आपा' साहित्य की इतनी बड़ी, विवादित और प्रमुख लेखिका थीं, कि चाहे जितनी बार उन्हें याद किया जाए, कम होगा. बहरहाल उनके प्रशंसक अपने हिसाब से उनका जन्मदिन दोनों दिन मनाते हैं. इस्मत ने अपनी लेखनी में महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया. उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबके की दबी-कुचली, सकुचाई और कुम्हलाई, लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को अपनी कहानियों और उपन्यासों में बड़ी बेवाकी से रखा. यहां तक कि इन लड़कियों की दमित यौन इच्छाओं और अभिव्यक्ति को भी उन्होंने जगह दी. शाहिद लतीफ से शादी करने के बाद वह बॉलीवुड से जुड़ीं. साल 1948 में शाहिद की फिल्म 'जिद्दी' से इस्मत ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर स्क्रीनराइटर कदम रखा. उनकी कहानियों पर कई फिल्में बनीं, जिसमें दिलीप कुमार, देव आनंद, कामिनी कौशल और प्राण सरीखे दिग्गज अभिनेताओं ने काम किया. 

 

दिलीप कुमार की फिल्म 'आरजू' के लिए इस्मत ने डायलॉग भी लिखे. साल 1953 में आई फिल्म 'फैराब' के जरिए वह निर्देशन के क्षेत्र में उतरीं. पति शाहिद लतीफ के साथ उन्होंने 'फिल्मिना' नामक प्रोडक्शन कंपनी खोली और 'सोने की चिड़िया' नामक फिल्म बनाई. यह फिल्म बाल शोषण पर आधारित थी, जिसमें नूतन और तलत महमूद ने काम किया था. इस्मत चुगताई की कहानी 'लिहाफ' जिसके लिए इस्मत पर मुकदमा चला, एक ऐसी बेगम और उसकी मालिश करने वाली नौकरानी पर आधारित थी, जिसके नवाब के पास समय नहीं है और यह औरत अपनी महिला नौकरानी के साथ में सुख पाती है. साल 1976 में भारत सरकार ने उन्हें  पद्मश्री से सम्मानित किया. 24 अक्टूबर, 1991 को 76 की उम्र में उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया. उनकी चर्चित रचनाओं में कहानी संग्रह: 'चोटें', 'छुई-मुई', 'एक बात', 'कलियां', 'एक रात', 'शैतान'; उपन्यास: 'टेढ़ी लकीर', 'जिद्दी', 'दिल की दुनिया', 'मासूम', 'जंगली कबूतर', 'अजीब आदमी' और आत्मकथा 'कागजी है पैरहन' शामिल है.