धर्मशालाः नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने धर्मशाला में पुस्तक मेला का आयोजन किया जिसमें अलग अलग सत्रों में हिंदी के विद्वानों ने अपनी बातें पाठकों से साझा की। 'वर्तमान दौर में इंटरनेट के समक्ष शब्द का महत्त्व' विषय पर परिचर्चा में युवा साहित्यकार डॉ चंद्रकांत सिंह ने कहा कि नई पीढ़ी शाब्दिक दुनिया से जुड़ी है और उसने इंटरनेट को अपना साथी बना लिया है. पुस्तक मेला इस बात का प्रमाण है कि पुस्तकों का अपना वजूद है व आगे भी रहेगा. पीटीआई के पत्रकार अरविंद शर्मा ने कहा कि मैं जिस संस्था में काम करता हूं, वह मूलतः अंग्रेजी में काम करती है, लेकिन हिंदी में 'भाषा' वही काम करती है. आज एक लाख से अधिक पत्रिकाएं छपती हैं उनमें से 75 प्रतिशत हिंदी में छपती हैं. अखबार के बाद टेलीविजन को दूसरा बड़ा साक्ष्य माने जाने लगा. रेडियो एक जमाने में बड़ा पापुलर था. मोबाइल आया तो आपकी जेब में पूरा संसार आ गया. आज के दौर में रेडियो फिर से सक्रिय हो गया है. आज 1600 सेटेलाइट चैनल प्रचलन में हैं. उनमें से 400 न्यूज़ चैनल एक्टिव हैं, इनमें से 100 चैनल हिंदी समाचारों के हैं.
दैनिक जागरण के हिमाचल प्रदेश के राज्य संपादक संपादक नवनीत शर्मा ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट का भविष्य बेहद उज्ज्वल है, लेकिन शब्दों का वजूद भी बरकरार है. आज 29 प्रतिशत महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही हैं. बाकी का इंटरनेट पुरुष इस्तेमाल कर रहे हैं. इंटरनेट ने हमें ग्लोबल कर दिया है. पत्रकारिता रहेगी. 1942 में जब हम आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब भी शब्द बोलते थे और हमने देखा है कि अब भी शब्द बोल रहे हैं. आज शब्द बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम हैं. धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग प्रमुख प्रो. रोशन लाल शर्मा ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि देखिए, शब्द प्रिंटेड है या वर्चुअल! शब्द-शब्द है. उसके साथ अंतरंग होने की जरूरत है. शब्द से जुड़ने का संस्कार हर सभ्यता में परिष्कृत होता गया है. संसार के तेजी से बदलते हुए स्वरूप में हमारी परिपक्वता में किसी न किसी स्तर पर सेंध लगी है. कोई एक खिलवाड़ हुआ है. शब्द का ये रुप निसंदेह पत्रकारिता से जुड़ा है. आज शब्द की जो रफ्तार है उसके साथ आधुनिक सम्बंध में जुड़ें तो कैसे? इस पर सोचने की बात है.