नई दिल्ली, 1 अगस्त, हिंदी के जाने-माने कवि और लेखक गोविंद मिश्र का आज जन्मदिन है. 1939 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अतर्रा में 1 अगस्त को उनका जन्म हुआ. मां अध्यापिका थीं और बचपन गांव के प्राकृतिक वातावरण में बीता इसलिए मध्यवर्गीय सहजता, कुलीनता और संस्कारों का असर उनके जीवन और साहित्य दोनों पर पड़ा. गुरू देवेन्द्रनाथ खरे ने उनमें साहित्यिक अभिरुचि भरी. पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत साहित्य, मध्यकालीन इतिहास और अंग्रेज़ी साहित्य से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और साल 1957 में हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से विशारद किया. 1959 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और गोरखपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक बने.1960 में वे अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा द्वारा भारतीय राजस्व सेवा के लिए चुन लिए गए. वह राजस्व सेवा के सर्वोच्च पद अध्यक्ष, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के निदेशक भी रहे. पर प्रशासनिक सेवा की चमक उनके भीतर के साहित्यकार को दबा नहीं सकी और साल 1963 से उन्होंने लेखन का जो नियमित कर्म शुरू किया, वह अभी भी निर्बाध रूप से जारी है.

अपनी अब तक कि इस सृजन यात्रा में उन्होंने पचास से भी अधिक कृतियों से साहित्य संसार में अपनी छाप छोड़ी, जिनमें उपन्यास – वह अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली जमीन, हुजूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीर समीरे, पांच आंगनों वाला घर, फूल… इमारतें और बंदर, कोहरे में कैद रंग, धूल पौधों पर; कहानी संग्रह – नये पुराने मां-बाप, अंत:पुर, धांसू, रगड़ खाती आत्महत्यायें, मेरी प्रिय कहानियां, अपाहिज, खुद के खिलाफ, खाक इतिहास, पगला बाबा, आसमान कितना नीला, स्थितियां रेखांकित, हवाबाज, मुझे बाहर निकालो; यात्रा-वृत्तांत – धुंध भरी सुर्खी, दरख्तों के पार… शाम, झूलती जड़ें, परतों के बीच और यात्राएं …; साहित्यिक निबंध – साहित्य का संदर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना; बाल साहित्य – कवि के घर में चोर, मास्टर मन्सुखराम, आदमी का जानवर; कविता संकलन – ओ प्रकृति मां और अन्य विधा के साथ कहानियों, निबंधों का संकलन- मुझे घर ले चलो, लेखक की जमीन, अर्थ ओझल, प्रतिनिधि कहानियां, चर्चित कहानियां, निर्झरिणी, मेरे साक्षात्कार, चुनी हुई रचनाएं कई-कई खंडों में उल्लेखनीय हैं.

 

अपने साहित्य कर्म के लिए गोविंद मिश्र को अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें उपन्यास 'लाल पीली जमीन' को ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा, 'हुजूर दरबार' को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रेमचंद पुरस्कार, उपन्यास 'धीर समीरे' को भारतीय भाषा परिषद कोलकाता द्वारा, उपन्यास 'कोहरे में कैद रंग' को साहित्य अकादमी द्वारा, उपन्यास 'पांच आंगनों वाला घर' को व्यास सम्मान और उपन्यास 'धूल पौधों पर' के लिए सरस्वती सम्मान मिल चुका है. साल 1991 में डॉ हरिवंश राय बच्चन के बाद इस सम्मान को हासिल करने वाले वे हिंदी के दूसरे रचनाकार हैं. जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी, त्रिनिदाद और टोबैगो और मॉरीशस जैसे देशों के अलावा तथा हाइडिलबर्ग और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी रचनाओं के पाठ हो चुके हैं. यही नहीं दृष्टांत, फांस और गलत नंबर जैसी उनकी कहानियों पर दूरदर्शन सीरियल प्रसारित कर चुका है. उन्हें अपने समग्र साहित्यिक योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा साल 2001 के 'सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान' से भी नवाजा जा चुका है. गुजराती, मराठी, अंग्रेजी, बंगाली, पंजाबी और कन्नड़ सहित कई देशी-विदेशी भाषाओं में उनकी रचनाएं अनूदित हो चुकी हैं. अनेक विश्वविद्यालयों में उनकी रचनाओं पर शोध कार्य भी हुए हैं और कई जगह वे पाठ्यक्रम की पुस्तकों का हिस्सा हैं.

जागरण हिंदी की ओर से हिंदी साहित्य सेवी गोविंद मिश्र को जन्मदिन की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं!