भोपालः मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन' ने अपने प्रतिष्ठित भवभूति अलंकरण की घोषणा कर दी है. साल 2019 के लिए यह अलंकरण हिंदी के जानेमाने वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना को प्रदान किया जाएगा. यह अलंकरण साहित्य को अपने समग्र अवदान के लिए प्रतिवर्ष देश के किसी वरिष्ठ लेखक को दिया जाता है. इस वर्ष निर्णायक मण्डल में कवि मलय, कथाकार राजेन्द्र दानी और आलोचक डॉ. सेवाराम त्रिपाठी शामिल थे. निर्णायक मण्डल की बैठक जबलपुर में संपन्न हुई. पूर्व में इस अलंकरण से प्रगतिशील लेखक संघ की मुख-पत्रिका वसुधा के सम्पादक स्वयं प्रकाश, डॉ. कांति कुमार जैन, डॉ. प्रभात भट्टाचार्य, कवि एवं गज़लकार ओम प्रभाकर, कथाकार डॉ रमाकांत श्रीवास्तव आदि को नवाजा जा चुका है. याद रहे कि पहले भवभूति अलंकरण से चर्चित व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को नवाजा गया था.


ग्वालियर में 16 जनवरी 1939 को जन्मे नरेश सक्सेना हिंदी कविता के उन चुनिन्दा ख़ामोश लेकिन समर्पित कार्यकर्ताओं की अग्रिम पंक्ति में हैं, जिनके बिना समकालीन हिंदी कविता का वृत्त पूरा नहीं होता. शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर में पढ़ाई करने के बाद से इंजीनियर होते हुए भी उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में विपुल लेखन किया, जो व्यापक स्तर पर पढ़ा और सराहा गया. वे विलक्षण कवि हैं और कविताओं की गहन पड़ताल में विश्वास रखते हैं. साल 2001 में उनका 'समुद्र पर हो रही है बारिश' नामक काव्यसंकलन छपा और अब तक उनके नाम पर बस वही एक किताब दर्ज़ है. उन्होंने 'आरम्भ', 'वर्ष' और 'छायानट' नामक पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया, भवभूति अलंकरण से पहले वह हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्मान, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, पहल सम्मान, कविता कोश सम्मान आदि से नवाजे जा चुके हैं.

भवभूति अलंकरण एवं वागीश्वरी पुरस्कार समारोह आगामी 13 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित किया जाएगा.