भोपाल: वनमाली सृजन पीठ मध्यप्रदेश में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई आयोजन कर रहा है. इसी के तहत पीठ की सागर इकाई का शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर कई साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित हुए. प्रथम सत्र में डॉ शरद सिंह ने अपनी कहानी 'प्रेमीजन की जात न पूछो' का वाचन किया. इस कहानी में कथित 'ऑनर' के नाम पर युवाओं की भावनाओं का किस तरह दमन किया जाता है, इसको बखूबी उजागर करने के साथ ही खाप-पंचायत की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया गया है. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुरेश आचार्य ने की. इकाई के संयोजक उमाकांत मिश्र ने स्वागत भाषण दिया. आयोजन में डॉ. वर्षा सिंह, प्रोफेसर दिनेश अत्री, डॉ नवीन कांगो, डॉ आशुतोष मिश्र, आशीष ज्योतिषी एवं कपिल बैसाखिया सहित नगर के बुद्धिजीवियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति रही. संचालन डॉ अभिषेक ऋषि एवं अक्षय अनुग्रह ने किया. याद रहे कि रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र तथा वनमाली सृजन पीठ की संयुक्त पहल पर  मध्यप्रदेश में 7 से 20 सितम्बर तक पुस्तक यात्रा भी आयोजित की जा रही है। 

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ विजय सिंह के अनुसार वृहद स्तर पर आयोजित हो रही इस यात्रा के तहत 9वीं से 12वीं तक के इंटर स्कूल और अंतर विभाग स्तर पर अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं के लिये कविता, कहानी तथा चित्रकला स्पर्धाएं भी शामिल की गई हैं. पुस्तक यात्रा भोपाल से प्रारंभ हुई थी और यह सीहोर, देवास, उज्जैन, रतलाम, इन्दौर, शाजापुर, आगर, राजगढ़ और विदिशा जिलों से होते हुए वापस भोपाल पहुंचेगी. सिंह के अनुसार पुस्तक यात्रा के दौरान दान-दाताओं से पुस्तक संग्रहण का कार्य भी किया जा रहा है. ये संग्रहित पुस्तकें जरुरतमंद शिक्षण संस्थाओं को भेंट की जायेंगी. इतना ही नहीं यात्रा वाहन में विक्रय के लिये भी पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिन्हें पुस्तक प्रेमी विशेष रियायती दरों में खरीद रहे हैं. टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय के मुताबिक पुस्तक यात्रा के प्रति युवाओं की रूचि बढ़ाने के लिए 20, 21 और 22 सितंबर को समापन अवसर पर गीत-संगीत और नाटक का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.