नई दिल्ली: लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती पर राजकमल प्रकाशन ने सुधाकर अदीब के उपन्यास 'कथा विराट' का लोकार्पण साहित्य अकादेमी सभागार में किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी लेखिका चन्द्रकान्ता ने की. मुख्य अतिथि व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय थे और मुख्य वक्ता के रूप में विचारक सुशील पंडित ने अपनी बात कही. संचालन डॉ. नीरज चौबे ने किया. 'कथा विराट' के 18 अध्यायों में अंग्रेजों के विरुद्ध चले आधुनिक महाभारत की वृहद कथा समाहित है. किताब के बारे में लेखक सुधाकर अदीब ने कहा कि 'यह उपन्यास इतिहास में करवटें लेती एक वृहद कथा है, जिसमें हमारे महान पूर्वजों का  35 वर्षों का एक जीता जागता इतिहास समाहित है. महात्मा गाँधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटते हैं और वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की एक नई इबारत लिखते हैं. महात्मा गांधी तो उस युग की आत्मा थे. उनके निकटतम अनुयायी सरदार पटेल आगे चलकर राष्ट्र-निर्माता लौहपुरुष हुए. उपन्यास में वे प्रमुख भूमिका में हैं. 'कथा विराट' सरदार वल्लभभाई पटेल के कर्मठ जीवन की दास्तान है जो 1950 में उनके महाप्रयाण के साथ समाप्त होती है.
सुशील पंडित ने कथाकृति की विशेषता बताते हुए कहा कि 'कथा विराट' समय का निर्बाध प्रवाह है. विराट उद्वेलन का निरपेक्ष साक्षी है. विराट स्थूल का विस्तार ही नहीं है, सूक्ष्म में अंतर्निहित तत्त्व का साक्षात्कार भी है. सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि इस उपन्यास का आरम्भ ही पाठक को अपने कथात्मक मोहपाश में ऐसा बांधता है कि वह ग़ालिब के सुर में कहता है नींद रात भर क्यों नहीं आती. कथा और तथ्य चित्रण में संतुलन ही इसे विराट कथा बनाता है. इस प्रकार के लेखन में अनेक ख़तरे हैं और वे ख़तरे सुधाकर अदीब ने उठाये हैं.  कथाकार चन्द्रकान्ता ने इस कथाकृति को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हुए कहा कि 'उपन्यासकार की अन्वेषक दृष्टि यथार्थ के पीछे के सच को अनावृत कर, राजनीति की उठापटक, सत्तामोह और षड्यंत्रों का भी बेबाकी से पर्दाफ़ाश करती है. इस दौरान राष्ट्रीय सियासतदानों के कार्यकलापों के बीच जल में कमलवत खड़े सरदार पटेल का चरित्र परत दर परत खुलता जाता है'. अंत में राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने सभी विद्वानों और साहित्यप्रेमी अभ्यागतों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा, 'यह उपन्यास सरदार पटेल के जीवन और योगदान पर लिखा गया है . उनकी जयंती पर हम उनकी स्मृति को सादर नमन करते हैं. गुजरात में उनकी विराट प्रतिमा का अनावरण हुआ है और यहां उन पर लिखी किताब का.