रायपुरः छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, जीवन और मर्यादा के साथ किसी शख्सियत के जीवन पर बनने वाली पहली बायोपिक फिल्म 'मंदराजी' सफलता के नये इतिहास रच रही है. यह फिल्म लोक नाचा के शीर्ष पुरुष दाऊ दुलार सिंह मंदराजी के जीवन पर आधारित है. छत्तीसगढ़ी समाज जब इस दौर में नाचा गम्मत और मंदराजी को लगभग भूलने लगा था. आलम यह था कि छत्तीसगढ़ी समाज लोक नाट्य के पर्याय दाऊ मंदरा जी को सिर्फ उनकी जंयती पर याद करता था. वह भी केवल 1 अप्रैल को राजनांदगांव के ग्राम रवेली में होने वाले मंदराजी महोत्सव के दौरान. पर अब उनकी जीवनी पर बनी फिल्म ने उस दौर की फिर से याद दिला दी है. खास बात यह कि समूचा छत्तीसगढ़ी समाज, यहां तक कि स्कूली बच्चे भी इस फिल्म के प्रचार प्रसार में जुटे हैं. फिल्म के निर्देशक विवेक सार्वा के अनुसार दाऊ मंदरा जी की जीवनी को परदे पर उतार पाना काफी मुश्किल था, पर जब फिल्म बन कर तैयार हुई तो रिलीज से पहले ही फिल्म के ट्रेलर और गाने को यूट्यूब और टीक-टाक पर जबरदस्त लोकप्रियता मिली.
याद रहे कि दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जन्म 1 अप्रैल, 1910 को रवेली ग्राम में हुआ था. गीत-नृत्य के प्रति उन्हें खास लगाव था. वह खड़े साज या मशाल लेकर की जाने वाली मसलहा नाचा प्रस्तुतियों का संक्रमण काल था. मंदराजी ने इस विधा को परिष्कृत करने का बीड़ा उठाया और अपने रवेली गांव के मंचीय प्रदर्शन से प्रयास आरंभ किया. सक्षम कलाकारों की उनकी टोली धीरे-धीरे लोकप्रियता पाने लगी. छत्तीसगढ़ी नाचा की लोकयात्रा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ से टाटानगर तक कई छोटी-बड़ी जगहों में अपना परचम फैलाने लगी. नाचा के माध्यम से अभिनय के क्षेत्र में मदन निषाद, लालू, भुलवाराम, फिदाबाई मरकाम, जयंती, नारद, सुकालू और फागूदास जैसे दिग्गजों को सामने लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. इस फिल्म में सुपरस्टार करण खान ने मंदराजी की भूमिका निभाई है. अन्य कलाकारों में ज्योति पटेल, हेमलता कौशल, नरेश यादव, ऋषि चंद्राकर ढाल साहू, युवराज चंदैनी भी नजर आ रहे हैं.