नई दिल्लीः कोरोना ने भले ही लोगों के मिलने-जुलने पर रोक लगा दी है, पर बौद्धिक और वैज्ञानिक गतिविधियों पर कोई विराम नहीं लगा है. विज्ञान प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए स्वायत्त संस्थान 'राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद' जो एनसीएसटीसी तथा 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' जो डीएसटी के नाम से जाना जाता है ने 'लोकप्रिय विज्ञान लेखन' पर दो वेबिनार आयोजित किए. इस वेबिनार का उद्देश्य विज्ञान लेखन के लिए शोध विद्वानों में कार्य क्षमता का निर्माण करना है. इस कार्यक्रम को औग्मेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च के तहत आयोजित किया गया. देश भर के 28 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों और अमेरिका, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल आदि 12 अन्य देशों के विद्वानों के समक्ष विज्ञान संचार के महत्व, शोध से लोकप्रिय लेख लिखने और लोकप्रिय विज्ञान लेखन की युक्तियों और तकनीकों को पेश किया गया.
एनसीएसटीसी, डीएसटी के प्रमुख डॉ. मनोज पटैरिया तथा विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक-एफ डॉ बीके त्यागी ने श्रोताओं को संबोधित किया और विज्ञान संचार पर युक्ति साझा किये. भारत और विदेश के कुल 1282 पंजीकृत प्रतिभागियों के साथ वैज्ञानिक लेखन के इस वेबिनार को भारी समर्थन मिला. डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “किसी के शोध पर आधारित एक लोकप्रिय विज्ञान लेख हमारी समझ को बेहतर बनाता है कि मेरा ज्ञान विज्ञान के व्यापक सवालों और समाज की जरूरतों से कैसे संबंधित है.मैंने पाया है कि अगर मैं अपने शोध को विभिन्न उम्र और विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि के लोगों को इस तरीके से समझा सकता हूं जो उनकी समझ को बढाता है तथा बदले में मुझे सराहना मिलती है तो इसका अर्थ है कि मैंने समस्या के कई आयामों को बेहतर तरीके से समझा है.विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबद्ध संस्थान इस तरह के और भी आयोजनों में जुड़ेंगे.