भोपालः मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय की 'लिखंदरा' चित्र प्रदर्शनी में 'शलाका' के अंतर्गत एक प्रदर्शनी लगी है, जिसमें जीवन के तमाम जरूरी पहलू दिखते हैं. इन चित्रों में जंगल के संसार और आधुनिक समाज के पुट के साथ-साथ गलबापजी जैसे पारम्परिक जनजातीय अनुष्ठानों को वरिष्ठ भीली चित्रकार भूरी बाई ने अपने कलात्मक चित्र कौशल से कैनवास पर उकेरा है. प्रदर्शनी में जो 30 चित्र कलारसिकों के अवलोकन के लिए उपलब्ध हैं, उनमें पशुओं द्वारा अपने बच्चों के प्रति वात्सल्य भाव, उनका उत्साह और सुकून झलकता है.
भूरी बाई के इन कलात्मक चित्रों में जहां पशु-पक्षियों के कलरव जन-जीवन की सुन्दर अभिव्यक्ति इन चित्रों को समझा जा सकता है. यह चित्र तार्किक न होकर भावनात्मक रूप से अपने से जोड़ते मालूम पड़ते हैं. इन चित्रों में आधुनिक समाज और वस्तुनिष्ठ लोगों को भी चित्र माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. वरिष्ठ भीली चित्रकार भूरी बाई की अनेक चित्र शिविरों-कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी रही है. इन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा कला के क्षेत्र में शिखर सम्मान, देवी अहिल्या सम्मान एवं मध्यप्रदेश गौरव सम्मान से नवाजा जा चुका है. खास बात यह कि इन चित्रों के अवलोकन के लिए प्रवेश निःशुल्क है.
भूरी बाई के इन कलात्मक चित्रों में जहां पशु-पक्षियों के कलरव जन-जीवन की सुन्दर अभिव्यक्ति इन चित्रों को समझा जा सकता है. यह चित्र तार्किक न होकर भावनात्मक रूप से अपने से जोड़ते मालूम पड़ते हैं. इन चित्रों में आधुनिक समाज और वस्तुनिष्ठ लोगों को भी चित्र माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. वरिष्ठ भीली चित्रकार भूरी बाई की अनेक चित्र शिविरों-कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी रही है. इन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा कला के क्षेत्र में शिखर सम्मान, देवी अहिल्या सम्मान एवं मध्यप्रदेश गौरव सम्मान से नवाजा जा चुका है. खास बात यह कि इन चित्रों के अवलोकन के लिए प्रवेश निःशुल्क है.