वाराणसीः काशी के प्रसिद्ध संकटमोचन संगीत समारोह पर भी कोरोना का भरपूर असर पड़ा है. यही वजह है कि श्री हनुमान जयंती अवसर पर पिछले 96 साल से हो रहा वार्षिक संगीत समारोह इस साल डिजिटल फॉर्मेट में हो रहा है. इस वर्ष सात दिवसीय संकटमोचन संगीत समारोह 12 से 17 अप्रैल को आयोजित होने वाला था. पर अब उसकी जगह यह डिजिटल हो रहा है, जिसके तहत 12 से 17 तक नियमित सायं 7:30 बजे से केवल हनुमान जी के लिए कुछ बड़े कला साधक संगीत की प्रस्तुति दे रहे हैं. पंडित जसराज सहित अब तक 20 कलासाधकों ने अपनी स्वीकृति दे दी है. जिनमें गायन के क्षेत्र के दिग्गज पंडित जसराज, राजन-साजन मिश्र, अजय पोहनकर, अजय चक्रवर्ती, उस्ताद राशिद खां, अरमान खां, कौशिकी चक्रवर्ती और उल्लास कसालकर; वादन के क्षेत्र से यूं राजेश-शिवमणि, विश्वजीत राय चौधरी, निलाद्री कुमार, शाकिर खां, उस्ताद मोईनुद्दीन खा-मोमिन खां, पं भजन सोपोरी-अभय सोपोरी; नृत्य से पं राममोहन महराज, पं कृष्णमोहन महराज; तबला पर कुमार बोस, सुरेश तलवलकर, अनिंदों चटर्जी-अनुब्रत चटर्जी, समर साहा, संजू सहाय और उस्ताद अकरम खां-जरगाम खां शामिल है.

संकटमोचन हनुमान मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र का कहना है कि हनुमान जी बल विद्या और बुद्धि के प्रदाता हैं. सिर्फ बल से हर संकट या चुनौती का उपाय नहीं ढूंढा जा सकता. इसलिए बल और बुद्धि का तालमेल ही विवेक है. अब तकनीक के साथ परम्परा का प्रवाह हो यही आज के समय की ज़रूरत है. जब हनुमानजी की कृपा से यह संगीत समारोह सौवें वर्ष की ओर बढ़ रहा है तो हम इसे कैसे रोक सकते थे. वैसे भी संतशिरोमाणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी को संकटमोचन कहा था. ये कलिकाल के सबसे प्रतापी देव हैं, जिनको भगवती सीता का वरदान भी प्राप्त है. हम सबको कोरोना की इस त्रासदी से उबारने में वह सक्षम भी है. बस उनको याद दिलाना पड़ता है. इसलिए विशेष प्रार्थना भी हो रही ताकि विश्व इस संकट से उबरे. पारंपरिक तौर पर चलने वाला सार्वभौम रामायण सम्मेलन भी मंदिर परिसर में केवल हनुमान जी के लिए जारी है.