लखनऊ, संवादी ने कहा… हो जा सतरंगी रे! तो प्रकृति भी रंग गई, संवाद करने लगी। अभिव्यक्ति के स्वर सजने लगे। अंबर से धरती पर प्यार बरसता रहा। रिमझिम बौछार के बीच संवाद का इंद्रधनुष सजा। विदा लेती दोपहर में हवा सर्द थी पर 'क्षेत्रीय राजनीति का भविष्य पर चर्चा गर्म। कोई नरमी से अपनी बात कह रहा था तो किसी को तल्खी का साथ सही लगा। कभी वक्ता श्रोता से दिखे तो कुछ श्रोता अपनी बात कहने के लिए मंच तक बढ़ चले। सत्र समापन की ओर था लेकिन दर्शक दीर्घा से सवाल जारी रहे। सहमति-असहमति के बीच बातचीत की खूबसूरती बनी रही। सुखद ये था कि मंच और दर्शक दीर्घा के बीच की दीवार टूटी। देर शाम तक लोग वैविध्य विचारों के सागर में डूबते उतरते रहे।
गोमती नगर स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी में दैनिक जागरण के आयोजन संवादी की भव्य शुरुआत को हुई। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित और दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी, और ब्रांड विभाग से सीजीएम विनोद श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलन कर संवाद का उजियारा किया। इसके बाद सत्र दर सत्र विचारों की गहमागहमी बढ़ती रही। उद्घाटन सत्र में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से अरुण माहेश्वरी की बातचीत ने 'ज्ञान का ज्ञान समझाया। विधानसभा अध्यक्ष की किताब पर चर्चा के साथ संवाद मधुर होता गया। पहले सत्र 'हिंदी का फैलाता दायरा में भारतीय भाषाओं के बीच संवाद जरूरी का प्रबल संदेश दिया गया। 'हिंदी यस, कंपल्शन नो' की पुरजोर आवाज उठी। राममोहन पाठक, कृष्ण बिहारी और यतीन्द्र मिश्र एकमत हुए कि हिंदी को बड़ी बहन और बाकी को मौसी मानना होगा। अगला सत्र 'महिला होने का दंश था। चूंकि, विषय गहन और गंभीर था तो चर्चा भी उसी रौ में होती गई। नाइश हसन, मीनाक्षी स्वामी और सुशीला पुरी ने एक सुर में कहा, सहनशीलता नहीं, विरोध करना जरूरी। तीसरे सत्र में उमेश पंत और आदित्य उमर ने 'हौसले का हिमालय' दिखाया। चौथे सत्र में पत्रकार विजय त्रिवेदी, प्रदेश कांग्रेस का युवा चेहरा सुरेंद्र राजपूत और सपा से राजेंद्र चौधरी के बीच 'क्षेत्रीय राजनीति का भविष्य' पर गहमागहमी रही। पांचवे सत्र 'सुनहले पर्दे का ख्वाब' में अभिनेत्री महिमा चौधरी को सामने देख दर्शक दीर्घा में मोबाइल के फ्लैश चमकने लगे। 'अवध की मिट्टी से उठती धुन' के साथ पहले दिन का सुरमयी समापन हुआ।
विचारों का खजाना है संवादी
विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि समाज या दुनिया का गठन संवाद से होता है। संवाद उपयोगी है, अध्ययन का विषय भी है। आकाश में गंगा बहा देना संवाद की ही विशेषता है। हम गंगा को माता कहकर पुकारते हैं, ऐसा संवाद कहीं और नहीं मिलता है। ये दुनिया संवाद की है। संवाद धर्म है। हर कोई प्रीत पूर्ण संवाद करे। दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि संवादी विचारों का खजाना है। साहित्य, समाज, संस्कृति, सिनेमा समेत तमाम मुद्दों पर सार्थक चर्चा का मंच है। इस संवाद के उत्सव के रंग में रंग जाइए। एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने कहा कि ये अभिव्यक्ति का उत्सव है, कोई लिटरेचर फेस्टिवल नहीं। देश का सबसे बड़ा अखबार होने के नाते पाठकों को अभिव्यक्ति से जोडऩा हमारी जिम्मेदारी है। हम हर बार संवादी में मौजू विषयों को लेकर आते हैं। इस बार भी हर मुद्दे पर बात होगी। दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल और स्थानीय संपादक सद्गुरु शरण अवस्थी ने वक्ताओं की अगवानी की।
– दुर्गा शर्मा