नई दिल्लीः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत का स्थापना दिवस बेहद धूमधाम से स्थानीय न्यास सभागार में मनाया गया. इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के पूर्व अध्यक्ष ब्रज किशोर शर्मा ने कहा कि एक समय था कि पुस्तक भोजपत्र पर लिखी जाती थीं. आज यह विविध रूपों में ज्ञान की रोशनी विखेर रही हैं. इस दिशा में न्यास की भूमिका अविस्मरणीय है. वह राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के 62वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित 'वर्तमान भारत में पुस्तकें व पठन' विषय पर आयोजित संवाद में बोल रहे थे. इस अवसर पर उनके साथ मंच पर न्यास के अध्यक्ष प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा व न्यास की कार्यवाहक निदेशक नीरा जैन भी मौजूद थीं. कार्यक्रम के आरंभ में न्यास अध्यक्ष ने अतिथि का स्वागत पुस्तकों, पुष्प व शाल ओढ़ा कर किया.
स्थापना दिवस समारोह में प्रख्यात लेखक डॉ कमल किशोर गोयनका, न्यासी व प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार भी उपस्थित थे. मंत्रालय की ओर से संयुक्त सचिव भी उपस्थित थे. इस अवसर पर उन्होंने न्यास के उन कर्मचारी व अधिकारियों को भी शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया, जिनकी न्यास में सेवा के पच्चीस वर्ष हो चुके थे. कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी के सहायक संपादक दिजेंद्र कुमार ने किया. याद रहे कि 1 अगस्त, 1957 को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत  की स्थापना हुई थी. इसे 'एनबीटी' के नाम से भी जाना जाता है.  न्यास के प्रमुख उद्देश्यों में हिंदी, अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में उच्च कोटि के साहित्य-प्रकाशन को प्रोत्साहित करना तथा ऐसे साहित्य को उचित दरों पर उपलब्ध करवाना सम्मिलित हैं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास पुस्तक सूची का प्रकाशन, पुस्तक मेलों, प्रदर्शनियों, मोबाइल पुस्तक प्रदर्शनी तथा संगोष्ठियों का आयोजन भी करता है ताकि पुस्तक पढ़ने की रूचि को बढ़ावा मिले.