मुरादाबादः राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने स्थानीय विश्नोई धर्मशाला में एक सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें मुरादाबाद के मूल निवासी और अब मुंबई में रह रहे साहित्यकार प्रदीप गुप्ता को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर सम्मानित रचनाकार प्रदीप गुप्ता पर आधारित आलेख का वाचन डॉ मनोज रस्तोगी ने किया. सम्मानित साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने हिंदी के प्रचार प्रसार के साथ एक गैर हिंदी भाषा सीखने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि आज साहित्य को जनजन तक पहुंचाने की जरूरत है. तत्पश्चात उन्होंने तथा उपस्थित रचनाकारों ने शानदार काव्य पाठ किया. राजीव 'प्रखर' ने सुनाया- 'मानुष जिसके अंक में, धोने जाता पाप/ उस धारा का बोलिये, कौन हरे सन्ताप.' वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की रचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को समर्पित थी. रचना के बोल थे- 'हम बच्चों ने मिलकर के यह, कसम उठाई है/ देखें घर-बाहर की किसने, करी सफ़ाई है. रघुराज सिंह 'निश्चल' की रचना थी- 'बाल-दिवस है खाना पूरी/ यह तो है केवल मजबूरी/ अब हम बच्चे सुखी नहीं हैं/ हम से सब रखते हैं दूरी.'
काव्य गोष्ठी में बच्चों पर केंद्रित कविता को अलग रंग देते हुए योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने एक गीत सुनाया. गीत के बोल थे- 'छोटा बच्चा पूछ रहा है, कल के बारे में/ साजिश रच कर भाग्य समय ने, कुछ ऐसे बाँटा/ कृष्ण पक्ष है आँधी भी है, पथ पर सन्नाटा / कौन किसे अब राह दिखाये, इस अंधियारे में.' कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ओंकार सिंह 'ओंकार' ने पढ़ा- 'समय मिले तो खेलो खेल/ खेल-खेल में कर लो मेल/ खेल चुको तो पढ़ो किताब/ ऊँचे-ऊँचे देखो ख़्वाब.' डॉ मनोज रस्तोगी ने सुनाया- 'कौन खड़ा है नभ में, लेकर चांदी का थाल/ देखो, बुला रहा पास किसे, फैला किरणों का जाल.' अशोक विश्नोई ने पढ़ा- 'ग़ज़ब का क़िस्सा है, तू देश का हिस्सा है/ कोई भूखा प्यासा है, बड़ा खेल तमाशा है.' तो योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई का कहना था- 'हर एक कमल है फूल मगर, हर फूल कमल कब होता है.' शिशुपाल 'मधुकर' ने गीत सुनाया- 'इस दुनिया की रीत पुरानी, सुख में साथी मिलें हजार/ दुख के बादल जब गहरायें, परछाई भी भूले प्यार.' केपी 'सरल' की कविता के बोल थे- 'नई नवेली गाँव की, दुल्हन की वो चाल/ पायल के घुँघरू बजे, सुघड़ मिलाते ताल.' तो राम दत्त द्विवेदी ने सुनाया- 'मेरी तुम से प्रार्थना, है श्री नंदकिशोर/ हरियाली का चादरा, दीखे चारों ओर.' इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अनिलकांत बंसल ने भी काव्यपाठ किया. संचालन रामसिंह निशंक और आभार रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने व्यक्त किया.