श्रीडूंगरगढः राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ ने हिन्दी व राजस्थानी साहित्य सृजन के लिए दिए जाने वाले अपने वार्षिक राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. वर्ष 2019 के लिए प्रेम जनमेजय को 'साहित्यश्री', लालित्य ललित को नंदलाल महर्षि हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार व जोधपुर की बसंती पंवार को पं. मुखराम सिखवाल राजस्थानी सृजन पुरस्कार से नवाजा जाएगा. याद रहे कि मल्लाराम माली स्मृति 'साहित्यश्री' सम्मान संस्था का सर्वोच्च है. यह सम्मान इस साल लब्ध प्रतिष्ठित व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय को उनके समग्र साहित्यिक अवदान के लिए अर्पित किया जाएगा. प्रेम जनमेजय ने राजधानी में गंवार, बेशर्मेव जयते, पुलिस! पुलिस!, मैं नहीं माखन खायो, आत्मा महाठगिनी, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएं, शर्म मुझको मगर क्यों आती!, डूबते सूरज का इश्क, कौन कुटिल खल कामी, मेरी इक्यावन श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएं, ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग, कोई मैं झूठ बोलया, लीला चालू आहे!, भ्रष्टाचार के सैनिक जैसे चर्चित व्यंग्य संग्रहों व 'प्रेम जनमेजय के दो व्यंग्य नाटक' और मेरे हिस्से के नरेंद्र कोहली, इर्दम् गिर्दम अहं स्मरामि जैसी लोकप्रिय संस्मरणात्मक कृतियों से राष्ट्रव्यापी ख्याति अर्जित की है.
इसी तरह नंदलाल महर्षि हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार दिल्ली के साहित्यकार लालित्य ललित को उनके काव्य संकलन 'हम कितने पास, कितने दूर' के लिए दिया जाएगा. लालित्य ललित अनवरत लिखते रहते हैं और इनकी व्यंग्य और कविताओं की पैंतीस के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में शिरकत के साथ व कई पुरस्कारों से पहले भी सम्मानित हो चुके हैं. राजस्थानी भाषा-साहित्य में मौलिक लेखन के लिए दिया जाने वाला 'पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार' जोधपुर की प्रसिद्ध उपन्यासकार, कथाकार बसंती पंवार को उनकी कथा कृति 'नूंवो सूरज' के लिए दिया जाएगा. बसंती पंवार की भी हिंदी और राजस्थानी भाषा में कई उपन्यास, कविता संग्रह, कहानी संग्रह, व्यंग्य संग्रह सहित बाल साहित्य की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. विजेताओं को ये पुरस्कार 14 सितम्बर, 2019 को संस्था के वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रदान किए जाएंगे. सभी सम्मानित साहित्यकारों को पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रूपए की नगद राशि के साथ सम्मान-पत्र, स्मृति-चिह्न, शॉल अर्पित किया जाएगा.