नई दिल्लीः पश्चिम विहार की संस्था समाज सारथी व भारतीय विकास समिति के सौजन्य से एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता जाने-माने गीतकार डॉक्टर जयसिंह आर्य ने की. मुख्य अतिथि थे प्रसिद्ध गजलकार सरफराज अहमद. संचालन असलम बेताब ने किया, संयोजक थे युवा गजलकार राम श्याम हसीन. जिन कवियों ने गोष्ठी में चार चांद लगाया, उनमें इब्राहिम अल्वी, दिवाकर, डॉक्टर पन्नालाल, गोपाल गुप्ता गोपाल, राम श्याम हसीन, संजीव सक्सेना, अशरफ देहलवी, असलम बेताब, वसीम जहांगीराबादी, इरफान राही, मुकेश कुमार, रश्मि पहली किरण, अजय मिश्रा, सुरेंद्र खास, संजीव झा, नेहा नाहटा, पूनम शर्मा, शकील बरेलवी, पवन परमार्थी, रागिनी झा एहसास, प्रदीप सुमनाक्षर शामिल थे. अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ जय सिंह आर्य ने सभी युवाओं को अच्छे लेखन के लिए बधाई दी तथा नसीहत दी कि यदि वे अपने बड़ों के सान्निध्य में कुछ सीखें, तो अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा लिख सकते हैं.  
इस अवसर पर डॉ आर्य ने अध्यक्षीय काव्य पाठ में राम की महिमा का बखान करते हुए सुनाया- राम का नाम लिखा तो तर गए सागर के जल पर पाषाण/ राम विरोधी को क्या होगा राम की शक्ति का अनुमान…श्रोताओं की मांग पर उन्होंने अपना यह मुक्तक पढ़ा- ख़ून तेरा तुझे दगा देगा/ दर्द में भी न वो दवा देगा/ तूने मां-बाप को रुलाया है/ तेरा बेटा तुझे सजा देगा. उन्होंने गांव की माटी से जुड़ा यह गीत भी सुनाया- अमवां की डाली पीपल की छांव/ चल मेरे मनवा चल अपने गांव…/ बरगद के नीचे बचपन है खेला/ सावन में तीजन तीजन का मेला/ चंदन सी माटी, माटी में पांव/ चल मेरे मनवा, चल अपने गांव…कुल मिलाकर साहित्य और काव्य प्रेमियों ने इस काव्य – गोष्ठी का जमकर आनंद उठाया.