कोलकाता: भारतीय भाषा परिषद द्वारा विभिन्न भाषाओं के लिए घोषित पुरस्कार कोलकाता में आयोजित एक भव्य समारोह में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के हाथों प्रदान किए गए. इस अवसर पर असमिया लेखक नगेन सैकिया, कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर कम्बार और हिंदी की चर्चित लेखिका कुसुम अंसल को कर्तृत्व समग्र सम्मान से सम्मानित किया गया, तो उर्दू लेखक मोहम्मद ऐजाज, बांग्ला लेखिका कौशिकी दासगुप्ता, तेलुगु लेखक बंडारी राजकुमार और हिंदी लेखक शिवेन्द्र को युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सम्मान समारोह में लेखकों को पुरस्कृत करने के बाद अध्यक्षीय भाषण देते हुए राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि जिन साहित्यकारों का सम्मान किया गया वे अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय हैं. उन्होंने समाज को दिशा दी है. लेखक का अर्थ सिर्फ पन्ने रंगना नहीं है, सार्थक लिखना भी है. जो साहित्यकार संवेदनशील नहीं होता, वह ठूंठ हो जाता है. साहित्यकार चिंतक होता है और उसके चिंतन का फलक विस्तृत होता है. इसीलिए वह रच पाता है.
पुरस्कृत लेखकों की तरफ से आभार व्यक्त करते हुए लेखिका कुसुम अंसल ने कहा कि एक जुनून है जो हमें साहित्य के लिए प्रेरित करता है. साहित्य को ब्रह्मानंद सहोदर कहा गया है, इसलिए शब्द की साधना ही हमारे जीवन का उद्देश्य है. हर लेखक को निराशा और आशा दोनों को भुगतना पड़ता है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नंदलाल शाह ने कहा कि हर भारतीय भाषा का महत्व है और उनका विपुल साहित्य हमें हमेशा प्रेरणा देगा. परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी ने संचालन करते हुए कहा कि आज परिषद का सभागार इतनी भाषाओं के लेखकों और श्रोताओं की उपस्थिति से जगमग है और भारतीय एकता को मजबूती दे रहा है. उन्होंने बताया कि पुरस्कृत विद्वान बहुभाषी संवाद में पाठकों से संवाद भी करेंगे. उल्लेखनीय है कि कोलकाता स्थित भारतीय भाषा परिषद हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में प्रयत्नशील है और कई प्रकार के साहित्यिक पुरस्कार देने के अलावा विभिन्न तरह की साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ी है. यह संस्था साहित्यिक पत्रिका वागर्थ मासिक का प्रकाशन भी करती है.