बस्तर: मशहूर लेखक राजीव रंजन प्रसाद को उनकी पुस्तक ‘बस्तरनामा’ के लिए भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय का प्रतिष्ठित ‘राहुल सांकृत्यायन पर्यटन पुरस्कार’ प्रदान किया गया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष पर्यटन विकास से सम्बंधित श्रेष्ठ कृतियों के लिए मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है। राजीव रंजन प्रसाद अबतक बस्तर के इतिहास, वहाँ के आदिवासी समाज और संस्कृति पर दर्जन भर से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। बस्तर की नक्सलवादी छवि के मिथक को तोड़कर उसका एक अलग रूप प्रस्तुत करता उनका पहला उपन्यास ‘आमचो बस्तर’ 2012 में आया था और काफी चर्चित हुआ। इसके अलावा मौन मगध में, ढोलकल, बस्तर – पर्यटन व संभावनाएं, बस्तर 1857 आदि उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं। अगले वर्ष नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में भी राजीव की तीन किताबें आने वाली हैं।
यश पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित ‘बस्तरनामा’ का लोकार्पण 2015 के विश्व पुस्तक मेले में हुआ था। इस पुस्तक में बस्तर संभाग का समग्र प्रस्तुतिकरण है जिसके अंतर्गत भूगोल, इतिहास, समाजशास्त्र, लोककला तथा संस्कृति, समसामयिक विमर्श के साथ साथ पर्यटन सम्बन्धी महत्वपूर्ण स्थानों का सचित्र और सविस्तार वर्णन प्रस्तुत किया गया है। ‘बस्तरनामा’ में अनेक ऐसे पर्यटन स्थलों का भी वर्णन है जिन्हें पहले पुस्तक के रूप में दस्तावेजीकृत नहीं किया गया था। यह पुस्तक नक्सलवाद से अलग बस्तर का जो चेहरा है, उसे सामने लाने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
‘बस्तरनामा’ के लिए पर्यटन मंत्रालय के पुरस्कार को बस्तर को समर्पित करते हुए राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं, ‘लम्बे समय से बस्तर की पहचान को नक्सलवाद से जोड़कर पेश किया जाता रहा है। इस पुस्तक में मैंने बस्तर की समाज–संस्कृति और पर्यटन सम्बन्धी विशेषताओं को रेखांकित करते हुए उसकी एक अलग छवि प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। अतः इसे सम्मान मिलना मेरे लिए इन अर्थों में महत्वपूर्ण है कि इससे बस्तर को लेकर लोगों के नज़रिये में बदलाव आएगा।’