नई दिल्लीः राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की जयंती पर प्रख्यात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में हिन्दी भवन में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को 'हिन्दी रत्न' सम्मान से नवाजा गया. उन्होंने यह सम्मान संस्था के अध्यक्ष पूर्व राज्यपाल त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी से प्रदान किया. हिन्दी भवन के मंत्री गोविंद व्यास ने उन्हें एक लाख रुपए की सम्मान राशि और गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओपी कोहली ने वाग्देवी की प्रतिमा भेंट की. सम्मान ग्रहण करने के बाद रामबहादुर राय ने कहा कि आजादी के बाद हिंदी और भारतीय भाषाओं को उनका उचित दर्जा नहीं मिला. उन्होंने कहा कि आज सत्ता में अंग्रेजी भाषा का दबदबा है, जबकि वहां हिंदी और भारतीय भाषाएं विराजमान होनी चाहिए. अंग्रेजी विश्व भाषा है ही नहीं बल्कि यह तो केवल पांच देशों की भाषा है. उन्होंने कहा कि असल में यह सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की भाषा है. राय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वतंत्रता दिवस पर लालकिला की प्राचीर से दिए जाने वाले भाषण में हिन्दी के मुद्दे को शामिल करने का सुझाव दिया.
इस मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पं जवाहरलाल नेहरू का हिन्दी के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए राय ने कहा कि गांधी ने 15 अगस्त 1947 को कलकत्ता में बीबीसी संवाददाता के माध्यम से देश को संदेश देते हुए कहा था कि, वह अंग्रेजी भूल गए हैं. उन्होंने 4 मार्च 1942 को गांधी द्वारा नेहरू को लिखे एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा धर्म है कि हम एक दूसरे से राष्ट्र भाषा में ही संवाद करें. राय ने हिन्दी के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चिंता का जिक्र करते हुए कहा कि संघ ने 9 मार्च 2018 की अपनी प्रतिनिधि सभा में हिन्दी को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय को हिन्दी रत्न सम्मान देने में संस्थान स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी को लेकर काम करने वाले पत्रकार, भाषाविद संत समीर और साहित्यकार, पत्रकार योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण भी मौजूद रहे.