नई दिल्लीः राजधानी में आयोजित एक भव्य साहित्यिक समारोह में सुपरिचित कथाकार पंकज बिष्ट को राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान से नवाजा गया. इस अवसर पर देश के कई नामीगिरामी साहित्यकार और पत्रकार उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि यह सम्मान दो वर्ष में एक बार मित्रनिधिकी ओर से प्रदान किया जाता है, जिसके संरक्षक हिंदी के वरिष्ठ कवि कथाकार विष्णु चंद्र शर्मा हैं. पहला राजकमल स्मृति सम्मान सुपरिचित कवि इब्बार रब्बी को साल 2016 में प्रदान किया गया था. निर्णायकमंडल की ओर से आलोचक जानकी प्रसाद शर्मा ने पंकज बिष्ट के चयन की की घोषणा करते हुए कहा था कि पंकज बिष्ट समकालीन कथा साहित्य को अपनी विशिष्ट सृजनात्मकता से समृद्ध करने वाले एक प्रतिष्ठित रचनाकार हैं.1967 में साप्ताहिक हिंदुस्तान कहानी के प्रकाशन के साथ वे शब्द की दुनिया में दाखिल होते हैं. शुरू से ही उन्होंने अधिक के बजाय सार्थक लिखने के रवैये को वरीयता दी है. अब तक के विकास को मद्देनजर रखते हुए कहा जा सकता है कि पंकज ने कहानी व उपन्यास को कथ्य की नई जमीन दी है और भाषा, शिल्प व संरचनात्मक प्रयोगों से  सृजन की नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं.

पंकज बिष्ट ने अंधेरे से’ (असगर वजाहत के साथ 1977), पंद्रह जमा पच्चीस’ 1980, ’बच्चे गवाह नहीं हो सकते’ 1985 और टुंड्रा प्रदेश तथा अन्य कहानियां’ 1995'  के अलावा लेकिन दरवाजा’, ‘उस चिड़िया का नामऔर पंख वाली नावजैसे उपन्यास से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया. वह एक संपादक और साहत्यिक पत्रकार के रूप में भी सफल रहे. उन्होंने भारतीय सूचना सेवा में रहते हुए आजकल’ (हिंदी मासिक) का संपादन किया और अब 1999 से समयांतरमासिक का संपादन कर रहे हैं. एक वरिष्ठ कथाकार और साहित्यिक पत्रकार के रूप में उनका विशिष्ट योगदान राजकमल चौधरी सम्मान की गरिमा के सर्वथा अनुरूप है. सम्मान समारोह में रामशरण जोशी, डॉ देव शंकर नवीन, अशोक भौमिक, महावीर सरवर, विभूति नारायण राय, अशोक कुमार, ज्योतिष जोषी, खालिद अशरफ, नरेश नदीम, उपेंद्र कुमार, रणजीत साहा, ब्रजेंद्र त्रिपाठी, राम कुमार कृषक, भारत भारद्वाज, गंगेश गुंजन, गौरीनाथ, चंचल चौहान, राजेंद्र उपध्याय, ज्ञानेंद्र पांडे, कमल कुमार, अमरेंद्र मिश्र, शंकर, कुमार अनुपम, अंजलि देशपांडे, हरियश राय, योगेंद्र दत्त शर्मा, सुभाष सेतिया, अरविंद कुमार सिंह, राकेश रेणु, शोभा सिंह, राधेश्याम मंगोलपुरी, ज्ञान पाठक, भाषा सिंह, संजय जोशी और निर्दोष त्यागी सहित अनेक रचनाकार और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.