नई दिल्लीः एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के अप्रैल महीने के मासिक साहित्यिक कार्यक्रम डॉयलाग में प्रख्यात आलोचक मैनेजर पांडेय की अध्यक्षता में राकेश रेणु के नवीनतम काव्य-संग्रह 'इसी से बचा जीवन' पर परिचर्चा और उनका एकल कविता-पाठ आयोजित किया, जिसमें मिथिलेश श्रीवास्तव, गोपेश्वर सिंह, जानकी प्रसाद शर्मा, बली सिंह, मीना बुद्धिराजा, नीरज कुमार मिश्र, घनश्याम कुमार देवांश आदि ने शिरकत की. राकेश रेणु ने 'इसी से बचा जीवन' संग्रह से फैसला, शुभकामनाएँ, स्त्री आदि कविताओं का पाठ किया. परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए आलोचक प्रो. मैनेजर पांडेय ने कहा कि राकेश रेणु की कविताएं हमारे समय और समाज की कविताएं हैं. इसीलिए वह आज के समय और समाज के कवि हैं. 'उत्तरसत्य' कविता पर दृष्टिपात करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की कविताएं दूरगामी अर्थ प्रदान करने वाली कविताएं हैं. 'दशरथ मांझी' पर लिखी गई कविता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी को जानना मनुष्य के संकल्प शक्ति को जानना है. 'स्त्री' शृंखला की कविताओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के लेखकों में स्त्रियों की चिंता ज्यादा दिखती है.
कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि राकेशरेणु की कविता में जीवन बचाने में गोबर के उपले पाथती औरत का भी अमूल्य योगदान है. राकेशरेणु की कविताओं में स्त्रियां हैं, प्रेम है, श्रम है, संघर्ष है और प्रतिरोध है. समीक्षक डॉ जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा कि आज जब हर जगह नफरतें और उन्माद फैलाया जा रहा है वैसे समय में राकेशरेणु की प्रेम कविताएं राजनीतिक बयान की तरह हैं. राकेशरेणु शब्दों की फिजूलखर्ची के बिना ही रचना संसार को बहुआयामी बनाते हैं. आलोचक प्रो. गोपेश्वर सिंह ने कहा कि राकेशरेणु की कविताएं उम्मीदी और नाउम्मीदी के बीच के तनाव की कविताएं हैं. इनके संग्रह में स्त्री को नए ढंग से चित्रित किया गया है. आलोचक कवि डॉ. बली सिंह ने कहा कि राकेशरेणु की कविताओं में प्रकृति प्रेरक के रूप में आई है. भविष्योन्मुखता राकेशरेणु की कविता का मुख्य स्वर है. प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल की राकेश रेणु के कविता-संग्रह पर लिखी हुई टिप्पणी को चर्चित गीत और ग़ज़लकार बिनोद सिन्हा ने पढ़ा. युवा आलोचक डॉ मीना बुद्धिराजा, डॉ नीरज कुमार मिश्र, युवा कवि घनश्याम कुमार देवांश ने संचालन करते हुए इस संकलन पर प्रकाश डाला. धन्यवाद ज्ञापन आशा सागर ने किया. कार्यक्रम में हिंदी साहित्य जगत के कई चर्चित चेहरे दिखे. साथ ही जे.एन.यू., जामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शोधार्थियों के साथ-साथ साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति भी सराहनीय रही. कार्यक्रम की रिपोर्ट बनाने में गौरव भारती ने भूमिका निभाई.